मैथिली ठाकुर ने शास्त्रीय संगीत से बनाई पहचान। (Maithili Thakur Made A Mark With Classical Music)
मैथिली की उम्र महज 20 साल है। लेकिन समझदारी इतनी कि इसी उम्र में उसे मायावी बॉलीवुड से ऑफर आता है। और वह उसे ठुकरा देती है। करोड़ों रुपए की अंधाधुंध कमाई और मुंबई की आलीशान जिंदगी जैसे लालच उसको भटका नहीं पाते हैं।
मैथिली ठाकुर ने काफी कम उम्र में देश में अपनी पहचान बनाने वाली गायिका मैथिली ठाकुर का कहते है। कि लोक संगीत में शास्त्रीयता का अहम स्थान है। कहा कि संगीत के शास्त्रीय ज्ञान से लोक संगीत संवरता है। मैथिली ने यह बातें गोरखपुर महोत्सव में कार्यक्रम शुरू करने के पहले मीडिया से बातचीत के दौरान कहीं थी।
कहा कि लोकगीत में कई रागों का इस्तेमाल होता है। जिस राग की प्रमुखता होती है, उसी को आधार बनाकर गीत आगे बढ़ता है। मैथिली ने बताया कि सोशल मीडिया वह प्लेटफार्म है, जहां किसी का कृपापात्र होने की जरूरत नहीं होती। प्रतिभा किसी माध्यम से नहीं बल्कि सीधे जन-जन तक पहुंच ही जाती है। मैथिली ने बताया कि उनके फेसबुक पेज के एक करोड़ से ज्यादा फॉलोअर हैं।
साल 2017 में कलर्स के रियलिटी सिंगिंग शो राइजिंग स्टार से देश के सामने अपने शास्त्रीय संगीत की छाप छोड़ने वाली मैथिली ठाकुर आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। सोशल मीडिया के जरिए आज को लोगों को घरों और दिलों तक पहुंच गई है। कैमरे के सामने हारमोनियम और तबले के साथ जब तीन बच्चों से गाना शुरू किया तो किसी को अंदाजा नहीं था कि इतने कम समय में ये न केवल देश बल्कि विदेशों में भी छा जाएंगे।
मैथिली ठाकुर का परिवार (Maithili Thakur Family)
मैथिली ठाकुर एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। उनका जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बेनीपट्टी नामक एक छोटे से शहर में हुआ था।
मैथिली के पिता रमेश ठाकुर अपने क्षेत्र के लोकप्रिय संगीतकार हैं। जबकि माता भारती ठाकुर पूरा परिवार संभालती हैं। उसका नाम उसकी मां के नाम पर रखा गया था। उसके दो छोटे भाई हैं, जिनका नाम रिषव और अयाची है। जो अपनी बड़ी बहन यानी मैथिली ठाकुर की संगीत यात्रा में तबला और हारमोनियम जैसे वाद्य बजाने का साथ गायन में भी सहयोग करते हैं।
शुरुआत में मैथिली ने अपने अपने पिता से ही संगीत सीखा था। अपनी बेटी की गायन प्रतिभा का एहसास होने के बाद उनके पिता ने मैथिली पर विशेष ध्यान देना शुरु किया। मैथिली को अधिक अवसर प्रदान करने के लिए उनके पिता रमेश ठाकुर ने दिल्ली के द्वारका में अपना ठिकाना बनाया। यहीं पर मैथिली और उनके दो भाइयों की शिक्षा बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में हुई है। स्कूली पढ़ाई के दौरान रमेश ठाकुर ने अपने तीनो बच्चों को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, हारमोनियम और रिषव को विशेष तौर पर तबला बजाने का प्रशिक्षण दिया।
मैथिली ठाकुर की शिक्षा (Maithili Thakur Education)
मैथिली ठाकुर को शुरू से ही संगीत का काफी शौक रहा है। इसका एक कारण यह भी है, कि उन्हें बचपन से ही अपने परिवार में संगीत का माहौल ही देखने को मिला है। उनके पिता भी संगीत के शिक्षक हैं, और उनसे ही मैथिली को शिक्षा मिली। गायिका की स्कूली शिक्षा बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से हुई है। जबकि मैथिली की कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज से हुई है।
मैथिली ठाकुर का कर्रियर (Maithili Thakur Career)
मैथिली ठाकुर ने पहली बार वर्ष 2011 में लिटिल चैंप्स (Little champs) का ऑडिशन दिया। लेकिन वह रिजेक्ट हो गईं। जिसके बाद उन्होंने और भी कई म्यूजिक शो के लिए ऑडिशन दिए। लेकिन टॉप 20 तक आकर रिजेक्ट हो जाती थी। यहां तक कि मैथिली को 6 बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। लेकिन मैथिली ठाकुर ने हार नहीं मानी हार का सामना किया और आज वो सोश्ल मीडिया पर छाई हुई है।
मैथिली ठाकुर ने आखिरकार साल 2015 में उन्हें ‘आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार सीजन 2’ में शिरकत का मौका मिला। जहां उन्होंने खिताब जीतने में कामयाबी हासिल की। इसके बाद इन्होने इंडियन आइडल (Indian Idol) जूनियर 2 में भी टॉप 20 में जगह बनाई।
साल 2017 में मैथिली ने राइजिंग स्टार नामक रियलिटी सिंगिंग शो में चयन हुआ था। जहां अपनी शानदार प्रस्तुति के लिए मैथिली को 94 प्रतिशत रिकॉर्ड स्कोर प्राप्त हुए। मैथिली ठाकुर 5 बार की दिल्ली राज्य की शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं। मैथिली ठाकुर ने 2016 में 11वीं की पढ़ाई के साथ ‘थारपा’ नामक एलबम से अपने संगीत करियर की शुरुआत की।
भाषाओं में अश्लीलता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं में अश्लीलता है. शब्दों का चयन आपको खुद करना है। मैथिली का मानना है, कि आप लोगों को जैसा परोसेंगे, वही उन्हें अच्छा लगने लगेगा। वे इसके लिए पुरानी परंपराओं और संगीत पर आधारित भोजपुरी गीत चुनती हैं। वे कहती हैं, “भोजपुरी में भिखारी ठाकुर जिंदा हैं। मैथिल में विद्यापति जी हैं। इन्होंने भाषा के लिए बहुत काम किया है. इनसे सीखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पुराने संगीत में हर गाने का कुछ ना कुछ मतलब होता था, लेकिन आधुनिक गानों में वह छूट गया है। लोक गायन इन्हें बहुत पसंद है क्योंकि इन गानों में कुछ अर्थ रहता है।
मैथिली ठाकुर को पहले संगीत की शिक्षा अपने पिता से मिली। उन्होंने कहा, “शुरू में हमें शास्त्रीय संगीत सिखाया गया। फोक से ही क्लासिकल संगीत निकला है। जैसे भोजपुरी और मैथिली किसी राग में बना हुआ है। संगीत को राग में बांध कर हम गाने का कोशिश करते हैं। क्लासिकल झलक दिखाने का प्रयास करते हैं. पहले, मैं सिर्फ क्लासिकल सिंगर थी। पिताजी की सलाह के बाद मैंने हर विधा में गाना शुरू किया। मैंने बॉलीवुड में हाथ आजमाया. गीत चर्चित हुए। पहचान भी मिली, लोग मुझे पसंद करने लगे. शास्त्रीय संगीत ही आधार है।
भाइयों के साथ अपनी सुपरहिट जोड़ी के बारे में मैथिली कहती हैं। अपने भाई अयाची को बैठाकर रियाज करवाती हूं। मैं अपने दोनों भाइयों के बिना अधूरी हूं। दोनों के सहयोग से मुझे बल मिलता है। वैसे भी यूट्यूब पर मैं अपने भाई अयाची व ऋषभ के साथ लाइव परफॉर्मेंस देती हूं। अयाची की तालियां और ऋषभ का तबला मुझे शानदार संगत देता है।
इंटरव्यू के दौरान मैथिली ने आजकल के कुछ गानों के बोल को लेकर खास तौर पर नाराजगी जताई और कहा कि अगर भविष्य में कभी उनके सामने कोई ऐसा ऑफर आता है तो गानों के बोल और भारतीय संस्कृति जैसे पैमाने को ध्यान में रखते हुए गानों का चुनाव करेंगी। मैथिली से स्पष्ट कहा कि वो भारतीय संस्कृति और गीत के बोल से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगी। जब उन्हें लगेगा कि कोई गीत उनके लिए बनी है तो वो बॉलीवुड गीत को अपनी आवाज देंगी
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