पंकज त्रिपाठी भारत के एक बहुत ही जानें मानें और बेहतरीन कलाकार हैं। जिन्होंने अपने शानदार अभिनय से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई है, और इसके लिए उन्होंने काफी कड़ी मेहनत के साथ साथ संघर्ष भी बहुत किया है। यहां बता दें कि यह बिहार के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। और उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। जिसकी वजह से वह बिहार से मुंबई आ गए थे। उन्होंने काफी फिल्मों में और टीवी सीरियलों में एक्टिंग की है। और यह बात साबित कर दी है। कि वह एक बहुत ही अच्छे कलाकार हैं।
गैंग्स ऑफ वासेपुर में एक जानलेवा कसाई की भूमिका निभाने वाले पंकज त्रिपाठी एक छोटी सी जगह से हैं। छोटी सी जगह से उठकर बड़े पर्दे पर अपना नाम कमाना कोई आसान बात नहीं है, पर कुछ लोग हैं, जो बिना किसी गॉड फादर के भी पर्दे पर अपनी छाप छोड़ जाते हैं। और सही मायनों में हमारा असली कलाकार भी वही होता है। पंकज त्रिपाठी भी उन्हीं में से एक नाम है। जिसने पर्दे पे अपनी छाप कुछ इस तरह छोड़ी है। कि वे काफी पीढ़ियों तक याद किए जाएंगे। आइये आज हम जानते है कि आखिर पंकज त्रिपाठी कैसे बिहार के एक किसान के घर में जन्मे एक लड़के ने बॉलीवुड पर छा गए।
बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी जीवनी (Pankaj Tripathi Biography In HIndi)
पंकज का जन्म एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित बनारस तिवारी एक किसान और पुजारी हैं, वहीं उनकी माता हेमवती एक गृहणी हैं। उनके तीन बड़े भाई और दो बड़ी बहनें हैं। 15 जनवरी 2004 को उन्होंने मृदुला से विवाह किया। जिसके चलते उनकी एक बेटी है।
पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितम्बर 1976 को बिहार के गोपालगंज जिले बेलसंड गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित बनारस त्रिपाठी और माता का नाम हेम्वंती देवी है। इन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से ही था। 12 साल की उम्र में ही इन्होने गाँव की छठ पूजा में लड़की का किरदार निभाया था। इस प्रकार इनके एक्टिंग के प्रति रुझान और भी बढ़ गया। वह अपने अभिनय कौशल के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। जिसके चलते उन्होंने 40 से अधिक फिल्मों और 60 टेलीविजन शो में कार्य किया है। वह फिल्म “गैंग्स ऑफ वासेपुर” में अभिनेता के रूप में सहायक भूमिका के लिए काफी प्रसिद्धि हैं। उनके पिता चाहते थे। कि वह एक डॉक्टर बनें, जिसके लिए उन्होंने पंकज को उच्च अध्ययन के लिए पटना भेज दिया। जहां पढ़ाई करते समय, वह एबीवीपी पार्टी में शामिल हो गए। पंकज पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाते थे। अपनी कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद वह होटल प्रबंधन के एक कोर्स में शामिल हो गए और होटल मौर्य में दो साल तक ‘कुक’ के रूप में कार्य किया। उसके बाद, उन्होंने एक अभिनेता के रूप में फिल्मों में शामिल होने का निर्णय किया।
बिंदु | जानकारी |
नाम (Name) | पंकज त्रिपाठी |
जन्म (Date of Birth) | 5 सितंबर 1976 |
आयु | 44 वर्ष (2020 तक) |
जन्म स्थान (Birth Place) | गांव बेलसंद, बिहार |
पिता का नाम (Father Name) | पण्डित बनारस तिवारी |
माता का नाम (Mother Name) | हेमवंती तिवारी |
पत्नी का नाम (Wife Name) | मृदुला तिवारी |
पेशा (Occupation ) | अभिनय |
बच्चे (Children) | एक बेटी |
भाई-बहन (Siblings) | 4 भाई और 2 बहनें |
अवार्ड (Award) | विशिष्ट सेवा पदक |
पंकज त्रिपाठी कि फॅमिली। (Pankaj Tripathi Family)
पंकज सर का कहना है। कि उनका शुरुआती पढ़ाई का माहौल बहुत दुखद था। उन्होंने कक्षा पांचवी तक पेड़ की छांव में पढ़ाई की है। और यह इसलिए क्योंकि उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था। और वे बताते है। कि उनके गांव में बिजली कुछ वक्त पहले ही आई है। जिसे देख कर हम यह अंदाजा लगा सकते हैं। कि पंकज कितनी छोटी सी जगह से उठ कर आए हैं। पंकज शादीशुदा हैं, उनकी शादी 15 जनवरी 2004 को मृदुला से हुई थी। और उनके एक बेटी भी है।
पंकज त्रिपाठी का शुरुआती करियर (Early Career Of Pankaj Tripathi)
पंकज त्रिपाठी के पिता एक किसान थे, इसलिए वे अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर डॉक्टर बनाना चाहते थे। ताकि वो उनका और उनके गाँव का नाम रोशन कर सकें। इसी के लिए उन्होंने पंकज को पढ़ने के लिए पटना भेज दिया। पंकज ने बायोलॉजी से इंटर पास किया। उसके बाद उन्होंने एंट्रेंस के लिए कोचिंग शुरू कर दी।
2 बार एग्जाम भी दिए पर उसे निकाल नहीं पाए। पढ़ाई के दौरान वे एक छात्र संगठन से जुड़ चुके थे। एक आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा, फिर वे वाम दल से भी जुड़े. फिर वे और उनके दोस्त कालिदास रंगालय में नाटक देखने जाने लगे जिससे पंकज की रुचि अभिनय की तरफ बढ़ने लगी। उसके बाद उन्होंने बिहार आर्ट थिएटर जॉइन कर लिया। अब वे नाटकों में अभिनय करने लगे। पर घरवालों की समझाइश पर अभिनय के अलावा वे एक होटल में काम करने लगे। वे मौर्य होटल में नाईट शिफ्ट में रसोइ पर्यवेक्षक का काम करते थे।
पंकज त्रिपाठी का बॉलीवुड करियर (Bollywood Career Of Pankaj Tripathi)
जब वह पटना में रहते थे, तब वह अभिनय के प्रति आकर्षित हुए। उन्होंने विभिन्न नाटक कार्यक्रमों में जाना शुरू किया। वर्ष 1995 में, उन्होंने भीष्म साहनी की कहानी “लीला नंदलाल की” में स्थानीय चोर की भूमिका निभाई थी, जिसे विजय कुमार (एनएसडी पास आउट) द्वारा निर्देशित किया गया था। दर्शकों और मीडिया द्वारा उनके प्रदर्शन की काफी सराहना की गई। उसके बाद, वह एक नियमित रंगमंच कलाकार बन गए और जिसके चलते उन्होंने 4 वर्षों तक इसका अभ्यास किया। पटना में सात साल बिताने के बाद, पंकज दिल्ली चले आए। जहां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया और वर्ष 2004 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद, वह पुनः पटना वापस लौट आए और चार महीने तक थिएटर में कार्य किया।
16 अक्टूबर 2004 को, पंकज त्रिपाठी मुंबई चले गए और अभिषेक बच्चन और विजय राज़ अभिनीत फिल्म ‘रन’ में एक छोटी सी भूमिका निभाई। “गुलाल” नामक टीवी नाटक में एक प्रमुख भूमिका निभाने से पहले उन्होंने फिल्मों और टेलीविजन में कई छोटी भूमिकाएं निभाईं।गुलाल के लिए शूटिंग करते समय, पंकज को अनुराग कश्यप की ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के ऑडिशन के लिए एक ऑफर मिला। ऑडिशन लगभग 8 घंटे तक चला, जिसमें उन्हें “सुल्तान” की भूमिका निभानी थी। फिल्म में उनके प्रदर्शन की काफी सराहना की गई। जिसके चलते उन्हें कई फिल्मों फुकरे, मांझी द माउंटेन मैन और मसान में भी कार्य किया।
गैंग्स ऑफ़ वासेपुर से मिली पहचान (Identity From Gangs Of Wasseypur)
इसी बीच उन्हें पता लगा कि अनुराग कश्यप अपनी फ़िल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ के लिए एक्टर्स की तलाश कर रहे हैं। ये ख़बर सुनते ही पंकज एक बार फिर ऑडिशन देने पहुंच गए, जहां कॉस्टिंग डायरेक्टर मनीष छाबरा की नज़र पंकज पर पड़ी। मनीष ने उन्हें फ़िल्म में सुल्तान मिर्ज़ा का किरदार सौंपा, जिस पर पंकज खरे उतरे थे।
‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ के इस किरदार ने बॉलीवुड में पंकज के लिए अपने दरवाजे खोल दिए, जिसके बाद पंकज ने ‘फुकरे’, ‘निल बट्टे सन्नाटा, ‘बरेली की बर्फी’ जैसी बॉलीवुडिया फ़िल्मों के साथ ही ‘मसान’ और ‘मांझी’ जैसी आर्ट फ़िल्में मे भी किरदार निभाया।
गैंग्स ऑफ वासेपुर पंकज त्रिपाठी की एक बहुत ही अधिक मशहूर फिल्म है। इस फिल्म की लंबाई काफी अधिक थी। इसलिए इस फिल्म को दो भागों में बांटा गया था। इसका पहला भाग 22 जून 2012 को भारत के सिनेमाघरों पर दिखाया गया था। जो कि दर्शकों को काफी अधिक पसंद आया था. इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी ने सुल्तान कुरेशी नामक भूमिका निभाई है जिसकी लोगों ने काफी जमकर तारीफ की।
पंकज त्रिपाठी की पसंद-नापसंद (Likes And Dislikes Of Pankaj Tripathi)
पंकज त्रिपाठी के पसंद नापसंद कि बात करें। तो खाने में उन्हे लिट्टी चोखा, वडा पाओ, रसगुल्ला, राजमा चावल और जलेबी बेहद पसंद है। अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह और माधुरी दीक्षित के वह बहुत बड़े फैन हैं। आपको जान के हैरानी होगी की पंकज को खाना बनाना बेहद पसंद है। और वो अपने खाली समय में घूमना या संगीत सुनना पसंद करते है। बिहार के छोटे से गांव से बॉलीवुड की दुनिया में अपना नाम बनाने वाले पंकज ने साबित कर दिए है की प्रतिभा किसी भी दिवार को तोड़ के सफलता प्राप्त कर ही लेती है। उनके द्वारा किया गए दबग किरदारों की चर्चा कोई भी करता नहीं थकता छोटे से रोल में भी अपनी छाप छोड़ जाना यही सही कलाकार की पहचान है।
पंकज त्रिपाठी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (Facts)
1 गाँव में छठ के समय नाटक में निभाया लड़की का किरदार
छठ के दिनों में उनके गांव में नाटक की परंपरा थी। उस समय उन्होंने दो-तीन साल गांव में नाटक किया था। वे लड़की बनता था। क्योंकि लड़की बनने के लिए कोई तैयार नहीं होता था। जो लड़की का रोल करता था लोग चिढ़ाते थे। नाटकों में जो लड़की बनते थे वे बाह्मण नहीं होते थे। वे या तो ओबीसी होते थे या दलित परिवार से आते थे। वे शायद अपने गांव का पहला ब्राह्मण थे। जिन्होंने लड़की का किरदार निभाया। उनके निभाए लड़की का किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया। लोगों ने चिढ़ाया लेकिन वे चिढ़े नहीं और लोग एक-दो दिन में थक गए।
2 रन में दो सीन के लिए श्रीदेवी जी के हस्ताक्षर किया हुआ चेक मिला
उन्होंने रन से पहले कोई फिल्म नहीं की थी। उसमे उनका बहुत छोटा रोल था जिसे वे वे काउंट नहीं करते है। ये रोल उन्हें अचानक ही मिल गयी इस रोल के लिए उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया था। दो सीन था, पता चला कि प्रति सीन चार हज़ार रुपये मिलेंगे तो उन्होंने कर लिया। उसमें उनकी आवाज़ भी नहीं थी. डबिंग किसी और ने की है।
उस समय वे दिल्ली में रहते थे। जब आठ हज़ार रुपये का चेक आया तो उस पर श्रीदेवी जी का हस्ताक्षर था। पता चला कि वो फिल्म की प्रोड्यूसर हैं। तो वे बहुत खुश हुए क्योकि वे श्रीदेवी के दीवाने थे और उन्होंने चेक भेजा था।
3 होटल मौर्या पटना में जब मनोज वाजपेयी ठहरे
एक बार मनोज वाजपेयी जी मौर्या होटल में ठहरने आये थे। उस समय पंकज वहां काम करते थे। जब वे होटल छोड़ कर जा रहे थे। तो गलती से उनकी चप्पल वहां छुट गयी. हाउस कीपिंग का एक लड़का था। उसने फोन कर के पंकज को बताया कि मनोज बाजपेयी जी आए थे। उनकी चप्पल छूट गई है. तो पंकज ने कहा, मुझे दे दो पहले जैसे गुरुओं का खड़ाऊ चेले रखते थे, वैसे ही मैंने उसे रख लिया।
उस समय मनोल वाजपेयी की फिल्म सत्या आई थी। जो पंकज को बेहद पसंद आया था। तो मैंने कहा कि यार मुझे दे दो मैं कम से कम उसमें पैर तो डाल सकूंगा. जब वासेपुर में उनसे मिला तो मैंने उनसे ये बात बताई थी।
4 कला के नाम पर कुछ भी नहीं कर सकता
हॉलीवुड अभिनेत्री लूसी ल्यू 20 मिनट की एक फिल्म बना रही थीं. उसमें छोटी बच्चियों के साथ रेप सीन थे। लूसी भारत आई थीं। पंकज से मिलीं और वो सीन करने को बोला लेकिन पंकज ने मना कर दिया।
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- उन्हें खाना बनाना, यात्रा करना और पुस्तकें पढ़ना बहुत पसंद है।
- वह अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े प्रसंशक हैं।
- उनकी पत्नी गोरेगांव, मुंबई में एक स्कुल में अध्यापक है।
- उन्हें फिल्म न्यूटन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- पंकज त्रिपाठी को अनुराग कश्यप और राम गोपाल वर्मा की फिल्मों में कार्य करना बहुत पसंद है।
तो दोस्तों यह थी पंकज त्रिपाठी जीवन परिचय की पूरी जानकारी आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।