किडनी डायलिसिस क्या है? (Kidney Dialysis in Hindi)
हमारी किडनी रक्त से अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थ व पानी निकालती है। वे ऐसे हॉर्मोन का स्त्राव भी करती हैं जो रक्त चाप को नियंत्रित करते हैं और शरीर में अम्ल व क्षार का संतुलन बनाए रखती है। जब किडनी ठीक तरह से कार्य नहीं करती है तो शरीर में अपशिष्ट पदार्थों का जमाव हो सकता है जो कि हानिकारक है। डायलिसिस एक ट्रीटमेंट की प्रक्रिया है, जिसमें किडनी के सारे कार्य किए जाते हैं जैसे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को निकालना। यह दो तरह से की जाती है – हेमोडायलिसिस (इसे हीमोडायलिसिस के नाम से भी जाना जाता है) और पेरिटोनियल डायलिसिस। हेमोडायलिसिस में ए-वी फिस्टुला से शरीर के बाहर लगे डायलिसिस मशीन में रक्त दो सुईओं की मदद से निकाला जाता है जिसमें रक्त फ़िल्टर हो कर वापस शरीर में चला जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस में कैथिटर को पेट के अंदर मौजूद पेरिटोनियल स्पेस में डाला जाता है जो कि पेरिटोनियल मेम्ब्रेन से ढका हुआ होता है। इसके बाद डायलिसिस द्रव को ट्यूब के अंदर डाला जाता है, जिसमें निकाले गए रक्त को फ़िल्टर किया जाता है। डायलिसिस के बाद इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप क्या खाते हैं और क्या पीते हैं। एक डायटीशियन द्वारा आपकी डाइट तय की जाएगी। डायलिसिस के बाद कुछ जटिलताएं भी हो सकती हैं जैसे संक्रमण, वजन बढ़ना, सूजन आदि जिनका ध्यान दवाओं या फिर सर्जरी द्वारा रखा जा सकता है।
किडनी मूत्राशय तंत्र के सबसे महत्वपूर्ण भाग है। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती हैं जो कि कमर के विपरीत हिस्सों और छाती के नीचे मौजूद होती है। यूरिनरी सिस्टम में अन्य जरूरी भाग युरेटर होते हैं जो कि संख्या में दो होते हैं और किडनी को यूरिनरी ब्लैडर से जोड़ते हैं जहां शरीर का सारा यूरिन संचित होता है। स्वस्थ किडनी शरीर से सारे अपशिष्ट पदार्थ को फ़िल्टर करती है और अतिरिक्त पानी को निकाल कर यूरिन बनाती है। साथ ही किडनी कुछ जरूरी हार्मोन भी बनाती है जैसे एरीथ्रोपोएटिन, कैल्सिट्रिओल और रेनिन जो कि रक्तचाप, हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम का अवशोषण और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को नियंत्रित करते हैं।
जब आपकी किडनी कुछ कारणों से ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाती हैं तो इससे शरीर में अपशिष्ट पदार्थ और अत्यधिक पानी जमा हो सकता है। ऐसे मामलों में डायलिसिस किया जाता है जब व्यक्ति के शरीर में अत्यधिक पानी, अपशिष्ट या विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं और उन्हें रक्त से निकालना पड़ता है।
डायलिसिस होने से पहले की तैयारी (Preparation before dialysis)
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- हेमोडायलिसिस – इसमें, ऐ-वी फिस्ट्यूला (एक जोड़ जहां धमनी और नस मिलती हैं) सर्जरी के द्वारा बनाया जाता है।
- पेरिटोनियल डायलिसिस – इसमें पेट के अंगों व पेट की दीवार को ढकने वाली मेम्ब्रेन के बीच में सर्जरी द्वारा एक स्पेस बनाया जाता है और उसमें कैथीटर को लगाया जाता है।
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सर्जरी से पहले किए जाने वाले टेस्ट – इनमें एक्स रे, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग, कम्पलीट ब्लड काउंट, यूरिन टेस्ट और किडनी से जुड़े अन्य टेस्ट आदि शामिल हैं। एचआईवी टेस्ट, हेपेटाइटिस सी टेस्ट की सलाह भी डॉक्टर द्वारा दी जा सकती है।
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सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया की जांच – सुन्न करने की दवा का चुनाव सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है। सुन्न करने की दवा सर्जरी से पहले दी जाती है ताकि मरीज को सर्जरी के दौरान दर्द महसूस न हो। आपको सर्जरी से 6-12 घंटे पहले भूखे रहने को कहा जा सकता है, क्योंकि सर्जरी के दौरान भोजन वापस से भोजन नली में आ सकता है।
- आपको डायलिसिस से पहले होने वाली सर्जरी के बारे में डॉक्टर से बातचीत कर लेनी चाहिए। डॉक्टर आपको इससे जुड़े खतरे और जटिलताओं के बारे में बता देंगे। आपको यह भी बताया जाएगा कि सर्जरी किस तरह डायलिसिस के ट्रीटमेंट में मदद करेगी।
- डॉक्टर को अपने स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पूरी जानकारी दें। यदि आप हाल ही में कोई दवाएं ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं, विशेषकर अगर आप रक्त को पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं। अगर आपने पहले कोई सर्जरी करवाई है जैसे सी-सेक्शन सर्जरी तो इसके बारे में भी डॉक्टर को सूचित करें।
- यदि आप शराब पीते हैं, तम्बाकू खाते हैं तो इसके बारे में भी डॉक्टर को बता दें।
- जो भी दवाएं डॉक्टर ने सर्जरी से पहले लेने के लिए कहा है, उन्हें नियमित रूप से लेते रहे जैसे पेट में अतिरिक्त एसिड उत्पादन के प्रभावों को बेअसर करने के लिए एंटासिड, संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए और संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक, सर्जरी से पहले दर्द को कम करने के लिए पेन किलर।
- आपको अस्पताल में एक विशेष गाउन जैसी ड्रैस पहनने को कहा जाएगा। सर्जरी के दौरान आपको एक चादर से ढका जाएगा और केवल वही भाग खुला होगा जहां सर्जरी होनी है।
- सर्जरी के दिन आप अपने किसी परिवारजन या मित्र को अस्पताल लेकर आएं।
- आपको मानसिक व शारीरिक रूप से तनाव मुक्त रहने की सलाह दी जाएगी।
- आप सर्जरी से पहले शराब न पिएं और ना ही धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करें, क्योंकि इनसे सर्जरी के सफल होने की संभावना कम हो जाएगी।
डायलिसिस क्यों किया जाता है? (Why dialysis is done)
किडनी यूरिन के रूप में शरीर के अतिरिक्त फ़िल्टर हुए पानी को निकालती है। ये नमक और खनिजों को संतुलित करने में भी मदद करते हैं जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम और पोटेशियम। जब किडनी ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाती हैं, जो कि किडनी फेलियर या किसी अन्य किडनी रोग की स्थिति में हो सकता है तो शरीर में अपशिष्ट पदार्थ व पानी जमा होने लगता है। इस समय पर डायलिसिस की जरूरत पड़ती है, जिसे रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी भी कहा जाता है। रीनल फेलियर के कारण रक्त फ़िल्टर नहीं हो पाता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे एनीमिया, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और खनिज के अवशोषण की प्रक्रिया खराब होने के कारण हड्डियां भी प्रभावित हो सकती हैं।
किडनी रोग भिन्न तरह के हो सकते हैं जैसे एक्यूट (जो तीव्रता से होते हैं) और क्रोनिक (लंबे समय तक रहते हैं) जिनका यदि इलाज नहीं किया जाए तो उनसे किडनी फेलियर भी हो सकता है। डायलिसिस की मदद से किडनी फेल होने से बचाई जा सकती है। एक्यूट किडनी रोगों के ट्रीटमेंट के बाद किडनी वापस सामान्य हो सकती है। एक बार जब यह हो जाता है तो डायलिसिस को बंद किया जा सकता है। हालांकि, अंतिम अवस्था और क्रोनिक किडनी रोगों में व्यक्ति के ठीक होने की संभावना कम होती है और केवल डायलिसिस ही अंतिम उपाय बचता है।
डायलिसिस कैसे किया जाता है? (How is dialysis done)
हेमोडायलिसिस – यह एक प्रक्रिया है जिसमें रक्त को फ़िल्टर कर के उसमें से अपशिष्ट पदार्थों व अतिरिक्त पानी को निकाल दिया जाता है। यह प्रक्रिया निम्न तरह से की जाती है –
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- इस ट्रीटमेंट में रक्त को शरीर से बाहर एक फ़िल्टर में निकाला जाता है जिसे डायलाइज़र कहा जाता है।
- ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले नर्स दो सुईओं को आपकी बांह में से ए-वी फिस्ट्यूला में लगाती है यह वह जोड़ होता है, जहां धमनी और नस जुड़ी हुई होती हैं। यह एक सर्जन द्वारा सर्जरी से पहले मरीज के शरीर में बना दिया जाता है।
- इस भाग को नम्बिंग क्रीम या सुन्न करने वाले स्प्रे से सुन्न कर दिया जाता है।
- एक सुई धमनी में लगाई जाती है जहां से धमनी का रक्त बाहर निकलता है और दूसरी सुई एक नस में लगाई जाती है जहां से फ़िल्टर हुआ रक्त शरीर में जाता है।
- दोनों ही नसें एक ट्यूब से जुड़ी होती हैं जो कि लंबी व पतली होती है। यह रक्त को शरीर के बाहर लगी हुई डायलिसिस मशीन तक ले जाती हैं।
- यह डायलिसिस की मशीन इसके बाद रक्त को फ़िल्टर में भेजकर इसे साफ करती है। डायलिसिस की मशीन में पतले फाइबर लगे होते हैं, जो रक्त से अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट पदार्थ निकाल देते हैं।
- फ़िल्टर में डायलाइजिंग सोल्यूशन भी होता है। अपशिष्ट पदार्थ डायलाइजिंग सोल्यूशन में जाते हैं और जिस धारा से रक्त ट्यूब में आ रहा होता है उसकी विपरीत धारा में रक्त को भेजता है।
- डायलिसिस मशीन में ब्लड प्रेशर को मापने के लिए मॉनिटर भी होते हैं। ये मॉनिटर ट्यूब में आ रहे रक्त के प्रवाह के दबाव की जांच करते हैं।
- यह प्रक्रिया पूरी तरह दर्दरहित है, लेकिन इस दौरान आपको बीमार महसूस हो सकता है या फिर आपको मतली हो सकती है।
- रक्त के घटकों में बार-बार बदलाव होने के कारण आपको मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है। जब डॉक्टर या नर्सों की मदद से आप एवी फिस्ट्यूला में सुई लगाना सीख जाते हैं तो यह प्रक्रिया घर पर भी की जा सकती है।
- कुछ डायलिसिस की मशीनें घर पर प्रयोग के लिए भी बाजार में मौजूद हैं। इससे आपको घर पर आसानी से डायलिसिस करने में मदद मिलती है। ज्यादातर जिन लोगों को हफ्ते में तीन बार तक डायलिसिस करना पड़ता है, उनके लिए यह काफी फायदेमंद हो सकती है।
पेरिटोनियल डायलिसिस से पहले की तैयारी
पेरिटोनियल परत द्वारा ढके हुए भाग में 0.5 सेमी लंबी एक पतली व चौड़ी ट्यूब (जिसे कैथीटर कहा जाता है) डाली जाएगी। इस पतली ट्यूब का एक भाग शरीर के बाहर ही रखा जाता है, जिसे दो अलग बैग से जोड़ा जाता है। एक बैग में वह विशेष द्रव होता है जिसे ट्यूब में पुश कर के डाला जाता है और रक्त में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ इससे निकल कर विशेष द्रव में आ जाते हैं। द्रव को अंदर डालने व वापस लेने की इस प्रक्रिया को एक्सचेंज कहा जाता है। हर बार प्रक्रिया के बाद नए बैग की जरूरत होती है।
कन्टीन्यूअस एम्ब्यूलेटरी पेरिटोनियल डायलिसिस
इस पेरिटोनियल डायलिसिस में रक्त को दिन में कम से कम चार बार फ़िल्टर किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में 30 मिनट का समय लगता है और एक बार ट्रेनिंग मिलने के बाद आप यह खुद भी कर सकते हैं। हर एक्सचेंज प्रक्रिया के बाद आप रोजाना की प्रक्रिया पर लौट सकते हैं और अपनी सामान्य गतिविधियां कर सकते हैं। दिन में भिन्न समय में आप चार बार यह प्रक्रिया दोहरा सकते हैं जैसे एक सुबह, दोपहर में, शाम को और आखिरी रात में। प्रत्येक एक्सचेंज के बाद बैग को हटाना होगा और ट्यूब को ठीक तरह से सील करना होगा।
ऑटोमेटेड पेरिटोनियल डायलिसिस
इस पेरिटोनियल डायलिसिस में रक्त को तब फ़िल्टर किया जाता है, जब आप सो रहे होते हैं इसमें लगभग 8 से 10 घंटे का समय लगता है। पेरिटोनियल स्पेस में लगाई गई पतली ट्यूब को एक मशीन से जोड़ा जाता है। जब आप सो रहे होते हों तो कई सारे एक्सचेंज रात में होते हैं, आमतौर पर तीन से पांच। डायलेट के रूप में जाना जाने वाला एक द्रव अंदर रखा जाता है, जहां अपशिष्ट पदार्थ निकलते जाते हैं। इसके बाद यह द्रव शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
अस्पताल के ऊपर निर्भर करते हुए डायलिसिस की फीस 30,000 रुपये तक हो सकती है। कुछ अस्पताल यह घर पर भी कर देते हैं, जिसका खर्चा कम आता है जो 20,000 प्रति माह तक हो सकता है।
डायलिसिस के बाद देखभाल कैसे करे।(How to take care after dialysis)
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- डायलिसिस के बाद सबसे अहम है, अपनी डाइट का ध्यान रखना। यह बेहद जरूरी है कि आपको पता हो आपको क्या और कितनी मात्रा में खाना-पीना है।
- डाइट इस बात पर निर्भर करती है कि आपको किस तरह का ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। आपके डायटीशियन बताएंगे कि आपको किस मात्रा में कौन से प्रकार के पोषक तत्व कब लेने हैं।
- एक अच्छा व संतुलित आहार उन सभी पोषक तत्वों की पूर्ति कर सकता है, जो ट्रीटमेंट के दौरान शरीर से निकल गए हैं। हालांकि, आपको बहुत सारे पोषक तत्व भी नहीं लेने हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत सारे पोषक तत्व शरीर में इकट्ठे हो जाएंगे क्योंकि, किडनी ठीक तरह से कार्य नहीं कर रही है।
- पानी की मात्रा का भी ध्यान रखना होगा। शरीर में अतिरिक्त पानी का जमाव हो सकता है, जिसके कारण आपको उच्च रक्तचाप, सूजन आदि समस्याएं हो सकती हैं।
- आहार में नमक की मात्रा पर भी नियंत्रण रखा जाना चाहिए।
- ऐसे भोज्य पदार्थ जिनमें खनिज, पोटेशियम, फास्फोरस ज्यादा है जैसे मछली, फली, मांस और डेरी पदार्थ जैसे दूध और दही को आहार में शामिल नहीं करना है।