एंजियोग्राफी क्या है? (What is Angiography)
हृदय रोग से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए एक विशेष जांच कराई जाती है जिसे ‘एंजियोग्राफी कहते हैं।
एंजियोग्राफी जो शब्द है वह यूनानी शब्द से आया हुआ है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ‘एंजियाॅन’ तथा दूसरा ‘ग्रेफियन’।
इस प्रकार के अध्ययन में एक रेडियोधर्मी तत्व या डाई का प्रयोग किया जाता है। जिससे एक्स-रे के सहयोग से रक्तवाहिनी नलिकाओं को स्पष्ट रुप से देखा जा सके। मुख्य रूप से एंजियोग्राफी में एक विशेष एक्सरे मशीन के माध्यम से एक लोकल एनेस्थीसिया देकर जांघ की धमनी में एक महीन नलिका अर्थात कैथेटर डाला जाता है, जिसे हृदय की धमनियों तक पहुंचाकर रेडियोधर्मी तत्व डाई के माध्यम से हृदय की स्थिति की परख की जाती है।
तत्काल धमनियों की संरचना कैसी है और रक्त का प्रवाह कहां पर अवरुद्ध हो रहा है इन स्थितियों की जानकारी के अलावा किडनी संक्रमण तथा रक्त का थक्का जमने में भी एंजियोग्राफी का प्रयोग किया जाता है।
हृदय रोगी को एंजियोग्राफी कराकर हृदय से संबंधित होने वाली समस्याओं का पता लगाकर उसके बाद उपचार हेतु चिकित्सा कार्य किया जाता है।
एंजियोग्राफी जाँच के प्रकार (Types of angiography screening)
एंजियोग्राफी जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में हृदयवाहिका रोग अर्थात हृदय रोग से अनेक लोग ग्रसित हो चुके हैं।
एंजियोग्राफी कैसे होती है? (How is angiography done?)
एंजिंग की पहली विधि
जांघ के पास से की जाने वाली जांच प्रक्रिया को फेमोरेल एंजेशन कहा जाता है। इसमें रोगी को काफी दिक्कतों से भी गुजरना पड़ता है।
इस प्रक्रिया में व्यक्ति को लगभग 6 से 12 घंटे तक अपने पैरों को बिना हिलाये-डुलेए बिस्तर पर लेटे रहना पड़ता है। यदि पैरों को हिला दिया जाता है तो यह संभावना बढ़ जाती है कि खून का स्पर्श होने लगा है।
खून के टन को रोकने के लिए रोगी को यह बताया जाता है कि पैरों को ना हिलाएं। इसके साथ-साथ रोगी के सहयोगी को भी ध्यान दिलाया जाता है कि रोगी के पैरों को न हिलाने में अपना सहयोग दें। एंजेशन कराने के बाद लगभग 8 से 12 घंटे के बाद मरीज फिर से जा सकता है।
एंजिंग की दूसरी विधि
बांह के पास की जाने वाली जांच प्रक्रिया को रेडियल एंजेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में कोई विशेष समस्या नहीं आती है। इस में खून के रिसाव होने की संभावना भी नहीं होती है। जिससे कोई डर भी नहीं रहता।
इसमें रोगी एंजाइम्स प्रदान करने के बाद आराम से जा रहा है फिर से हो सकता है। हां इस प्रक्रिया के प्रारंभ करने से पूर्व ध्यान जरूर देना होता है जैसे कि इस प्रकार की जांच प्रक्रिया में रोगी को यह बताया जाता है कि आप की जांच बांह माध्यम से होने वाली है इसलिए आप इस जांच को प्रदान करने से पूर्व 7-8 घंटे तक कुछ ना खातिर।
खाली पेट 7-8 घंटे रहने पर यह जांच होगी। एंजिंग जांच प्रक्रिया में रोगी को कुछ ध्यान भी रखना होता है जैसे यदि हृदय रोग से संबंधित व्यक्ति पूर्व से डायबिटीज रोग से ग्रस्त हो और डायबिटीज से संबंधित कोई दवा ले रहा हो तो जिस दिन एंजेशन की जांच करानी होती है उस दिन चिकित्सक से सलाह करें दवाओं को बंद कर देना होता है।
रक्त को पतला करने वाली दवा को बंद नहीं किया जाता है, बाकी दवाएं बंद कर दी जाती हैं।
हृदय जांच के लिए एंजियोग्राफी की आवश्यकता कितनी है?
एंजियोग्राफी आवश्यक है या फिर अनावश्यक है इसके विषय में जानने के लिए ‘पत्रिका’ (मध्यप्रदेश की एक विश्वसनीय हिंदी समाचार पत्र) में दर्शाए गए डॉ प्रकाश जी डीडवानिया के द्वारा एंजियोग्राफी के रहस्यों के विषय में बताए गए शब्दों पर एक नजर डालनी पड़ेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए देश में ही लगभग 11 राज्यों के शहरों में 6400 लोगों पर सर्वे भी उन्होंने किया है जिसका नाम ‘इंडिया हार्ट वर्क स्टडी’ रखा गया।