कारगिल युद्ध के हीरो रहे कैप्टन विक्रम बत्रा की बायोपिक शेरशाह लंबे इंतजार के बाद रिलीज हो चुकी है। फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने उनका किरदार निभाया है। अमेजन प्राइम पर आज यानि 12 अगस्त को इसे रिलीज कर दिया गया है। बीते कई दिनों से इसका Trailer और गाने छाए हुए थे और अब पूरी की पूरी फिल्म हाजिर है। शेरशाह न सिर्फ कैप्टन विक्रम बत्रा के भारतीय सेना के सफर को दिखाती है बल्कि उनकी मोहब्बत की अधूरी दास्तां को भी दिखाती है। शेरशाह एक ऐसी फिल्म है जिसमें सेना का जोश, जुनून और जज्बा तो देखने को मिलता है, दूसरी तरफ सरहद पर डटे जवान के दिल में छिपे भावों को भी प्रदर्शित करती है।
वैसे तो यह फिल्म फर्ज और मोहब्बत को एक तराजू में रखती। लेकिन चुनौती के समय फर्ज के लिए मोहब्बत की कुर्बानी भी दिखाती है। करीब 2 घंटे 15 मिनट की शेरशाह फिल्म में विक्रम बत्रा के की कॉलेज लाइफ की मस्ती से लेकर आर्मी से जुड़ने का सफर है तो 24 साल की उम्र में पहला सेना मिशन कमांड करने से लेकर कारगिल वॉर में प्वाइंट 4875 तक की जीत की कहानी है। विष्षु वर्धन ने पूरी कहानी ऐसे बयां की है कि कह उठेंगे- ये दिल मांगे मोर। दरअसल, युद्ध-मिशन पर जाते कैप्टन विक्रम बत्रा को कोडवर्ड मिलता है, शेरशाह। मिशन सफल होने पर उनकी तरफ से संकेत दिया जाता है- ये दिल मांगे मोर।
कारगिल युद्ध का यूं तो कई हिंदी फिल्मों में जिक्र आया है। मगर इस पर एलओसी, लक्ष्य, स्टंप्ड, धूप, टैंगो चार्ली और मौसम से लेकर गुंजन सक्सेना जैसी फिल्में बनी हैं। मगर शेरशाह इनसे अलग है क्योंकि यह पूरी तरह एक शहीद की असली बहादुरी पर केंद्रित है। फिल्म शेरशाह खास तौर पर दिखाती है। कि हमारी सेना के जांबाजों ने कैसे 16 हजार से 18 हजार फीट ऊंची ठंडी-बर्फीली चोटियों पर चढ़ते-बढ़ते हुए दुश्मन पाकिस्तानी फौज को परास्त किया था। वह कैप्टन विक्रम बत्रा और उनके जैसे बहादुर ही थे, जिनकी बदौलत देश ने तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के आदेश पर हमारी सीमा में घुसी पाकिस्तानी सेना को ठिकाने लगाया। पाकिस्तान का झूठ और ढिठाई ऐसी थी कि उसने युद्ध छेड़ने के आरोप से इंकार करते हुए अपने सैनिकों की लाशें स्वीकारने तक से इंकार कर दिया था। तब हमारी सेना ने पूरे सम्मान के साथ उन्हीं चोटियों पर दुश्मन सिपाहियों को दफन किया। फिल्म में यह बात बताई गई है, जो निश्चित ही पाकिस्तान को आईना दिखाएगी।
देशभक्ति और युद्ध क्षेत्र की कहानियां देखकर अक्सर सिहरन सी होती है। जब कहानी कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा की हो, तो फिल्म से उम्मीदें बढ़ना भी जाहिर है। ‘शेरशाह’ की कहानी एक ओर जहां आंखों में आंसू लाती है, वहीं दूसरी ओर विक्रम बत्रा की बहादुरी और जाबांजी प्रेरित करती है। फिल्म में कुछ कमियां हैं, जो कहानी के प्रभाव पर थोड़ा असर डालती है, लेकिन क्लाईमैक्स तक जाते जाते फिल्म संभल जाती है। ये फिल्म उन सभी 527 शहीदों को समर्पित है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमारी ज़मीन वापस हासिल की।
शेरशाह कि कहानी (Sher Shah’s Story)
कहानी कि शुरुआत विशाल बत्रा से, जहां वो एक टॉक शो में अपने भाई विक्रम बत्रा की कहानी दुनिया के सामने बयां करते हैं। पालमपुर के विक्रम बत्रा का बचपन से एक ही ख्वाब था, आर्मी ज्वॉइन करने का। अपने सपने का पीछा करते करते विक्रम ने साल 1996 में भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला लिया। प्रशिक्षण के बाद, 23 साल उम्र में विक्रम बत्रा को जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली। वो एक खुले दिल वाले बहिर्मुखी व्यक्ति थे, जिस वजह से वो जल्द ही किसी का भी दिल जीत लेते थे। वहीं, अलग अलग मौकों पर विक्रम बत्रा ने अपनी बहादुरी का भी परिचय दिया था। घर से अपने छुट्टियां कैंसिल कर कारगिल युद्ध के लिए वापस आते हुए विक्रम अपने दोस्त से कहते हैं, “या तो मैं तिरंगा लहराकर आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा, पर मैं आऊंगा जरूर..”।
फ्लैशबैक के जरीए हमें कॉलेज लाइफ में एक सिख लड़की डिंपल (कियारा आडवाणी) के साथ विक्रम का रोमांस देखने को मिलता है। वहीं, बाकी की फिल्म इस बात के इर्द-गिर्द घूमती है। कि कैसे विक्रम बत्रा ने कारगिल में पाकिस्तान सेना के खिलाफ भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और युद्ध के दौरान एक जख्मी सैनिक की जान बचाते हुए शहीद हो गए।
कारगिल युद्ध में विक्रम बत्रा ने जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन का नेतृत्व किया था। इस युद्ध के दौरान उन्हें ‘शेरशाह’ का कोडनेम दिया गया। और उन्होंने जीत का कोड रखा- ‘ये दिल मांगे मोर’।
विक्रम बत्रा का किरदार किसने निभाया (Who Played The Character Of Vikram Batra)
किरदार की बात करें, तो विक्रम बत्रा के किरदार में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अच्छा काम किया है। हर दृश्य में इस किरदार को निभाने के पीछे उनकी मेहनत दिखती है। कियारा के साथ उनके रोमांटिक दृश्य हों या कारगिल युद्ध, सिद्धार्थ ने अपने अभिनय में एक लय बनाकर रखी है। परर्फोमेंस के लिहाज से कोई दो राय नहीं कि ये सिद्धार्थ की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। वहीं, डिंपल चीमा के किरदार में कियारा ने अच्छा काम किया है। उनकी सादगी दिल जीतती है। शरफ फिगर, शिव पंडित, हिंमाशु मल्होत्रा, साहिल वैद अपने किरदारों में सराहनीय हैं।
मार्गदर्शन और तकनीकी पहलू (Guidance And Technical Aspects)
डायरेक्टर विष्णु वर्धन ने इस फिल्म के साथ हिंदी फिल्मों में बतौर निर्देशक डेब्यू किया है। इससे पहले उन्होंने दक्षिण में अरिंथुम अरियामलम, पट्टियाल, बिल्ला, सर्वम जैसी फिल्में बनाई हैं।
शेरशाह में निर्देशक ने वॉर के दौरान विक्रम बत्रा की वीरता को दिखाने के साथ साथ उनके रोमांटिक एंगल को भी फिल्म में शामिल किया है। विक्रम बत्रा और डिंपल ने चंडीगढ़ में कुछ खूबसूरत महीने साथ गुजारे थे। लेकिन उनका रिश्ता कितना गहरा था, इसका अंदाजा उस दृश्य में होता है। जब कारगिल युद्ध पर जाते हुए डिंपल भरी आंखों से विक्रम को देखती है। वो क्षण आपको भी चुभता है। सिद्धार्थ और कियारा की जोड़ी में एक सादगी दिखती है। वहीं, युद्ध के मैदान में विक्रम का आक्रमक रवैया उनके व्यक्तिव्य के अलग पहलू को दिखाता है। शेरशाह के वॉर सीन्स की बात करें तो विष्णु वर्धन ने बेहतरीन काम किया है।
और व्ही कमलजीत नेगी का छायांकन बेहतरीन है। एक ऐसी कहानी कहना, जो पहले से लोग जानते हैं। यह काफी रिस्की साबित हो सकता था। लेकिन संदीप श्रीवास्तव के स्पष्ट लेखन ने फिल्म को बांधे रखा।
मोस्ट इंपोर्टेंट बात यह है। कि लेखक- निर्देशक ने कहानी मेंप्रामाणिकता बनाए रखी है। एक दृश्य जहां एक पाकिस्तानी सैनिक बत्रा को ताना मारकर माधुरी दीक्षित को सौंपने के लिए कहता है। या विक्रम अपने एक साथी को यह कहकर पीछे कर देते हैं। कि ‘तुम्हारे बीवी बच्चे हैं, तुम हट जाओ’ और खुद को दुश्मनों के सामने कर देते हैं, लेखक संदीप श्रीवास्तव ने कई वास्तविक घटनाओं को फिल्म में शामिल किया है।
फिल्म 2 घंटे 15 मिनट लंबी है। और यह भी एक सकारात्मक पक्ष है। एडिटर ए श्रीकर प्रसाद ने फिल्म की कहानी को ट्रैक से उतरने नहीं दिया है। फिल्म के कमजोर पक्षों की बात करें तो वह है। साउंड डिजाइन, जो कि सोहेल सनवारी ने दिया है। साउंड डिजाइन वॉर फिल्म का एक महत्वपूर्ण पहलू होता है, जो कहानी में रोमांच बनाए रखने में भी मदद देता है, लेकिन शेरशाह का यह पक्ष कमजोर है। साथ ही फिल्म में रोमांचक मोड़ यानी कि सरप्राइज एलिमेंट्स की कमी है। सिर्फ विक्रम बत्रा ही नहीं, बल्कि कहीं ना कहीं हर किरदार की कहानी अनुमानित दिशा में ही आगे बढ़ती है।
शेरशाह आपको विक्रम की जिंदगी के उन लम्हों से रूबरू करवाती है, जिनके बारे में आपने शायद न तो पढ़ा होगा और न ही कभी देखा होगा। आर्मी से जुड़ने के सफर से लेकर कॉलेज लाइफ की मस्ती और 24 साल की उम्र में पहला सेना मिशन कमांड करने से लेकर कारगिल वॉर में प्वाइंट 4875 तक की जीत तक, फिल्म में आपको सब कुछ देखने को मिलेगा। करीब 2 घंटे 15 मिनट फिल्म देखने के बाद भी आप सोचते हैं कि फिल्म को थोड़ा और लंबा होना चाहिए था ताकि विक्रम बत्रा के बारे में हम और अधिक जान और देख सकते। विष्षु वर्धन का निर्देशन काफी बेहतरीन रहा है
फिल्म में दो गाने हैं, तनिष्क बागची द्वारा कंपोज किया गया ‘रातां लंबियां’ और जसलीन रॉयल द्वारा गाया और कंपोज किया गया गाना ‘रांझा’ जो कि कानों को सुकून देते हैं।
शेरशाह मूवी सॉन्ग (Shershah Movie Song)
1 रातां लंबियां सॉन्ग (Raataan Lambiyan)
2 रांझा सॉन्ग (Ranjha)
फिल्म का नाम शेरशाह क्यों रखा (Why Was The Film Named Shershah?)
युद्ध में हर जवान का नाम गुप्त रखा जाता है। और उन्हें एक मिलिट्री कोडनेम दिया जाता है। कारगिल युद्ध में विक्रम बत्रा का नाम शेरशाह था। इसी नाम को लेकर सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म का नाम भी शेरशाह रखा गया।
16 हजार फीट की ऊंचाई पर साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए विक्रम बत्रा शहीद हो गए थे। उनकी बहादुरी को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
लेखक: संदीप श्रीवास्तव
कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, कियारा आडवाणी, शिव पंडित, निकितिन धीर, साहिल वैद, मीर सरवर, पवन चोपड़ा और शताफ फिगार
निर्देशक: विष्णु वर्धन
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क्या फिल्म देकनी चाइए। (What Movie Should I See?)
इस फिल्म को आपको जरूर देखना चाहिए। फिल्म आपको कैप्टन विक्रम बत्रा की जिंदगी को इस तरह दिखाती है। कि कभी आप जोश से लबरेज हो जाएंगे तो कभी आपकी आंखों से आंसू नहीं रुकेंगे। शहीद विक्रम बत्रा न सिर्फ एक जांबाज फौजी थे। बल्कि एक सच्चे दोस्त, अच्छे बेटे और रोमांटिक पार्टनर भी थे। वो असली जिंदगी में भी किसी हीरो से कम नहीं थे। और ऐसे सच्चे हीरो की कहानी को जरूर सभी को जानना और देखना चाहिए।
तो दोस्तों यह थी शेरशाह’ फिल्म रिव्यू हिन्दी मे देशभक्ति और जांबाजी की कहानी। की पूरी जानकारी आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।