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माइक्रोसॉफ्ट विजुअल स्टूडियो क्या है? पूरी जानकारी।(What is Microsoft Visual Studio? )

Microsoft Visual Studio is software from microsoft for web apps development .

तो दोस्तो आप जब भी आप डॉट नेट सीखने जाते हैं तो सबसे पहला काम जो आपसे करवाया जाता है वह है कि विजुअल स्टूडियो इंस्टॉल करना। यदि आपको पता नहीं है कि विजुअल स्टूडियो क्या है और उसको सही तरीके से कैसे इंस्टॉल करते हैं तो इनस्टॉल करने पर विजुअल स्टूडियो आपके सिस्टम के बहुत सारे स्पेस को कवर कर सकता है। कंप्यूटर चलाते वक्त जिसकी वजह से आपका सिस्टम धीमा हो जाता है। अगर आप ढंग सही तरीके से विजुअल स्टूडियो इंस्टॉल करेंगे तो आपका सिस्टम स्लो नहीं होगा।

दोस्तों आज के इस लेख में हम इसी विजुअल स्टूडियो से संबंधित विषयों के बारे में जानेंगे। जैसे विजुअल स्टूडियो क्या है,विजुअल स्टूडियो का संक्षिप्त इतिहास, विजुअल स्टूडियो का उपयोग तथा विजुअल स्टूडियो के फीचर्स और डाउनलोड कैसे करे।

विजुअल स्टूडियो क्या है? (What is Visual Studio)

माइक्रोसॉफ्ट का एक एकीकृत विकास वातावरण (IDE) है। इसका प्रयोग विण्डोज़ फॉर्म अनुप्रयोगों, वेब साइटों, वेब अनुप्रयोगों और वेब सेवाओं के साथ ही कन्सोल और ग्राफिकल यूज़र इन्टरफेस अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिये नेटिव कोड और प्रबंधित कोड दोनों के साथ माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़, विण्डोज़ मोबाइल, विण्डोज़ CE, .NET फ्रेमवर्क .NET कॉम्पैक्ट फ्रेमवर्क और माइक्रोसॉफ्ट सिल्वरलाइट द्वारा समर्थित सभी प्लेटफॉर्मों के लिये किया जा सकता है।

विजुअल स्टूडियो एक इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्रोग्राम है जिसे हम सिम्पल भाषा मे IDE कहते है। जो कि माइक्रोसॉफ्ट द्वारा डिवेलप किया गया है। जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम आदि को बनाने में किया जाता है। विजुअल स्टूडियो की मदद से हम सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट तो कर ही सकते हैं, इसके साथ-साथ Website, Mobile Application आदि भी बना सकते हैं।

माइक्रोसॉफ्ट विजुअल स्टूडियो माइक्रोसॉफ्ट द्वारा डिवेलप की गई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में प्रोग्राम बनाते समय मदद करता है।  और डेवलपर को एक अच्छा प्रोग्रामिंग वातावरण प्रदान करता है। विजुअल स्टूडियो में कई ऐसे टूल्स होते हैं जो हमें प्रोग्राम बनाते समय मदद करते हैं। विजुअल स्टूडियो की मदद से हम प्रोग्रामिंग तो कर ही सकते हैं साथ ही साथ ग्राफिकल यूजर इंटरफेस एप्लीकेशन भी बना सकते हैं।

विजुअल स्टूडियो डॉट नेट की सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेजों के लिए कॉमन इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्रोग्राम है। माइक्रोसॉफ्ट विजुअल स्टूडियो Windows, iOS तथा MacBook ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध है। विजुअल स्टूडियो लगभग 36 अलग-अलग तरह की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सपोर्ट करता है जिसमें यूजर, कोड एडिटर और एडिटर फीचर का उपयोग कर सकता है। अब आपको पूरी तरह पता चल गया होगा कि विजुअल स्टूडियो क्या है।

विजुअल स्टूडियो की विशेषताएं (Features of Visual Studio)
1- कोड एडीटर (Code editor)

तो दोस्तो कोड़े एडिटर भी किसी भी अन्य (IDE) की तरह विजुअल स्टूडियो में भी एक कोड संपादक शामिल होता है, जिसमें इंटेलीजेंस का प्रयोग करके न केवल Variables, Functions और Methods के लिये, बल्कि भाषा के निर्माण खण्डों, जैसे loops और Queries, के लिये भी सिन्टैक्स हाइलाइटिंग और कोड पूर्णता के लिये समर्थन शामिल होता है।इसमें शामिल की गई भाषाओं और साथ ही XML के लिये और वेब साइटों तथा वेब अनुप्रयोगों का विकास करते समय कास्केडिंग स्टाइल शीट और जावास्क्रिप्ट के लिये भी इन्टेलीसेन्स का समर्थन प्रदान किया जाता है।ऑटोकम्पलीट सुझाव एक मोडविहीन लिस्ट बॉक्स में पॉप-अप होते हैं, जो कि कोड एडीटर के शीर्ष पर अच्छादित होता है। विजुअल स्टूडियो 2008 और इससे बाद वाले संस्करणों में इसे अस्थाई रूप से अर्ध-पारदर्शी बनाया जा सकता है, ताकि इसके द्वारा बाधित कोड को देखा जा सके। कोड संपादक का प्रयोग सभी समर्थित भाषाओं के लिये किया जा सकता है।

विजुअल स्टूडियो कोड संपादक शीघ्र संचालन के लिये कोड में बुकमार्क रितेश सेट करने का भी समर्थन करता है। अन्य संचालनात्मक सहायताओं में सामान्य टेक्स्ट खोज और रेगेक्स खोज के साथ ही कोड ब्लॉक्स और वृद्धिशील खोज शामिल होते हैं। कोड संपादक में एक बहु-वस्तु क्लिपबोर्ड और एक कार्य-सूची भी शामिल होती है। कोड संपादक कोड-खण्डों का भी समर्थन करता है, जो दोहरावपूर्ण कोड के लिये संचित टेम्पलेट होते हैं और जिस परियोजना पर कार्य किया जा रहा हो, उसमें इन्हें प्रविष्ट और कस्टमाइज़ किया जा सकता है। कोड खण्डों के लिये एक प्रबंधन उपकरण भी अंतर्निर्मित होता है। ये उपकरण तैरती हुई विण्डोज़ के रूप में प्रदर्शित होते हैं, जिन्हें प्रयोग न किये जाने या स्क्रीन के बाजू में रख दिये जाने पर स्वचालित रूप से छिप जाने हेतु सेट किया जा सकता है। विजुअल स्टूडियो का कोड संपादक पैरामीटर रिकॉर्डिंग, वेरियेबल और मेथड पुनर्नामकरण, इन्टरफेस उद्धरण और प्रापर्टीज़ के भीतर क्लास के सदस्यों के एन्जेन्सी सहित अन्य कोड रिफैक्टरिंग का समर्थन भी करता है।

विजुअल स्टूडियो बैकग्राउण्ड कम्पाइलेशन जिसे वृद्धिशील कम्पाइलेशन भी कहा जाता है। का समर्थन करता है। जब कोड लिखा जा रहा हो, तो विजुअल स्टूडियो इसे पृष्ठभूमि में कम्पाइल करता है ताकि सिन्टैक्स और कम्पाइलेशन त्रुटियों, जिन्हें लाल लहरदार रेखांकन के द्वारा चिह्नित किया जाता है, के बारे में फीडबैक दिया जा सके। चेतावनियों को एक हरी रेखांकन के द्वारा चिह्नित किया जाता है। बैकग्राउण्ड कम्पाइलेशन क्रियान्वयन-योग्य कोड उत्पन्न नहीं करता क्योंकि इसके लिये क्रियान्वयन-योग्य कोड के लिये प्रयुक्त कम्पाइलर से भिन्न एक कम्पाइलर की आवश्यकता होती है।

2 – तानाना (Extensibility)

तो दोस्तो जिस प्रकार हम ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर में उसके सोर्स कोड के साथ कुछ छेड़छाड़ करके या कुछ परिवर्तन करके उसे हम एक नया रूप दे सकते हैं। और उसकी क्षमता भी बढ़ा सकते हैं। ठीक उसी प्रकार विजुअल स्टूडियो भी प्रोग्रामस को यह अनुमति देता है कि वह उसकी क्षमता को बढ़ा सकें डेवलपर्स विजुअल स्टूडियो में एक्सटेंशन राइट कर सकते हैं। इस प्रकार के फीचर्स विजुअल स्टूडियो की प्रासंगिकता और उसके कार्य क्षेत्र को बनाते हैं।

3 – डीबगर (Debugger)

विजुअल स्टूडियो में एक डीबगर शामिल होता है, जो स्रोत-स्तरीय डीबगर और मशीन-स्तरीय डीबगर दोनों के रूप में कार्य कर सकता है। यह प्रबंधित कोड और मूल कोड दोनों के साथ कार्य करता है और इसका प्रयोग विजुअल स्टूडियो द्वारा समर्थित किसी भी भाषा में लिखे अनुप्रयोगों की डीबगिंग के लिये किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इसे वर्तमान में क्रियान्वित हो रही प्रक्रियाओं के साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि इनका निरीक्षण करके इन्हें डीबग किया जा सके। यदि क्रियान्वित हो रही प्रक्रिया के लिये स्रोत कोड उपलब्ध हो, तो क्रियान्वयन के साथ ही यह कोड को प्रदर्शित करता है। यदि स्रोत कोड उपलब्ध न हो, तो यह डिसअसेम्बली को प्रदर्शित कर सकता है। विजुअल स्टूडियो डीबगर अनेक मेमोरी डम्प बना सकता है और साथ ही उन्हें बाद में डीबगिंग के लिये लोड भी कर सकता है। बहु-सूत्रित प्रोग्राम्स का समर्थन भी किया जाता है। डीबगर को विजुअल स्टूडियो के बाहर क्रियान्वित हो रहे किसी अनुप्रयोग के विफल होने पर प्रारंभ किये जाने के लिये भी विन्यासित किया जा सकता है।

विज़ुअल स्टूडियो में डेटा टूलटिप्स डीबगर ब्रेकपॉइन्ट्स जो किसी विशिष्ट बिंदु पर क्रियान्वयन को अस्थाई रूप से रोकने की अनुमति देते हैं। और वॉचेस जो क्रियान्वयन की प्रगति के साथ वेरियेबल्स के मानों का निरीक्षण करते हैं को सेट करने की भी अनुमति देता है। ब्रेकपॉइन्ट्स शर्त पर आधारित हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे उस समय प्रारंभ होते हैं, जब कोई शर्त पूर्ण होती है। कोड को एक बार में एक पंक्ति पर आगे बढ़ाया जा सकता है। यह फंक्शन्स को डीबग करने के लिये इनके भीतर प्रविष्ट हो सकता है या यदि मानवीय निरीक्षण के लिये फंक्शन बॉडी उपलब्ध न हो, तो वह इसे छोड़कर आगे भी बढ़ सकता है। डीबगर एडिट एंड कन्टिन्यू (Edit and Continue) का समर्थन करता है, अर्थात यह कोड को डीबग होते समय ही संपादित किये जाने (केवल 32 Bit के लिये; 64 Bit में समर्थित नहीं) का समर्थन भी करता है।डीबगिंग करते समय, यदि किसी भी वेरियेबल पर माउस सूचक ले जाया जाए, तो इसका वर्तमान मान एक टूलटिप (“डेटा टूलटिप”) में प्रदर्शित होता है, जहां इसे इच्छानुसार संशोधित भी किया जा सकता है। कोडिंग के दौरान, विजुअल स्टूडियो डीबगर विशिष्ट कार्यात्मकताओं को तुरंत (Immediate) उपकरण विण्डो से मानवीय रूप से शुरु करने की अनुमति देता है। मेथड के लिये पैरामीटर इमीडियेट विण्डो पर भेजे जाते हैं।

4 – डिज़ाइनर (Designer)

विजुअल स्टूडियो में एक विजुअल डिज़ाइनर शामिल होता है।

  • विंडोज फॉर्म्स डिज़ाइनर
  • WPF डिज़ाइनर
  • वेब डिज़ाइनर/डेवलपमेंट
  • क्लास डिज़ाइनर
  • डेटा डिज़ाइनर
  • मैपिंग डिज़ाइनर

माइक्रोसॉफ्ट विजुअल स्टूडियो में एप्लीकेशन डेवलपमेंट के लिए विजुअल स्टूडियो हमें बहुत से ऐसे टूल्स उपलब्ध कराता है। जिनकी मदद से हम आसानी से किसी भी मोबाइल एप्लीकेशन को डेवलप कर सकते है।

शामिल उत्पाद (included product)

माइक्रोसॉफ़्ट विजुअल स्टुडियो मे शामिल प्रॉडक्ट निमन लिखित है।

  • माइक्रोसॉफ्ट विज़ुअल C + + (Microsoft Visual C++)
  • माइक्रोसॉफ्ट विजुअल C# (Microsoft Visual C#)
  • माइक्रोसॉफ्ट विजुअल बेसिक (Microsoft Visual Basic)
  • माइक्रोसॉफ्ट विजुअल वेब डेवलपर (Microsoft Visual Web Developer)
  • टीम फाउंडेशन सर्वर (Team Foundation Server)
  • विजुअल फॉक्सप्रो (Visual FoxPro)
  • विजुअल सोर्ससेफ (Visual SourceSafe)
  • विजुअल इंटरडेव (Visual InterDev)
विजुअल स्टूडियो एक्सप्रेस(Visual Studio Express)

माइक्रोसॉफ़्ट विजुअल स्टूडियो एक्सप्रेस संस्करण मुक्त व कम-भार वाले एकल IDE का एक समुच्चय है, जो एक प्रति-भाषा आधार पर विजुअल स्टूडियो IDE के न्यूनतम-आवश्यक संस्करणों के रूप में प्रदान किये गये हैं, अर्थात यह समर्थित भाषा के लिये भाषा सेवाओं को एकल विजुअल स्टूडियो शेल ऐप आईडी पर इन्स्टॉल करता है।

  • विजुअल बेसिक एक्सप्रेस (Visual Basic Express)
  • विजुअल C+ + एक्सप्रेस (Visual C++ Express)
  • विजुअल C# एक्सप्रेस (Visual C# Express)
  • विजुअल वेब डेवलपर एक्सप्रेस (Visual Web Developer Express)
विजुअल स्टूडियो टीम सिस्टम (Visual Studio Team System)

माइक्रोसॉफ़्ट विजुअल स्टूडियो टीम सिस्टम, विजुअल स्टूडियो प्रोफेशनल द्वारा प्रदत्त विशेषताओं के अतिरिक्त सॉफ्टवेयर विकास, सहयोग, मेट्रिक्स और रिपोर्टिंग उपकरणों का एक समुच्चय प्रदान करता है।

  • टीम एक्सप्लोरर (Team Explorer)
  • आर्किटेक्चर संस्करण (Architecture Edition)
  • डेटाबेस संस्करण (Database Edition)
  • विकास संस्करण (Development Edition)
  • परीक्षण संस्करण (Test Edition)
विजुअल स्टूडियो के फायदे (Advantages of Visual Studio)
सही कोडिंग

किसी भी वेबसाइट या एप्लीकेशन को बनाते समय कोडिंग की आवश्यकता होती हैं। यदि कोडिंग करते हुए कोई भी कमी रह गयी तो वेबसाइट ठीक प्रकार से कार्य नहीं करेगी। इसलिए जरूरी हैं कि कोडिंग सही हो विजुअल स्टूडियो में आपको लाइव असिस्टेंस सहायता मिलती हैं ।जिस कारण आप कोडिंग में कोई भी गलती होने पर सहायता के लिए पूछ सकते हैं। ऐसे ही विजुअल स्टूडियो में उपलब्ध फीचर के कारण कोडिंग में गलती होने की कमी बहुत कम होती हैं।

कठिन परिक्षण

विजुअल स्टूडियो एक एप्लीकेशन टेस्टिंग प्लेटफार्म के साथ आता हैं, जिस की सहायता से डेवलपर शुगमता से उच्च गुणवत्ता के उत्पाद तैयार कर सकते हैं। आप कह सकते हैं उत्पाद तो बढ़िया से बढ़िया तैयार होगा लेकिन उसे बनाने में परिश्रम कम लगेगा।

जल्दी डिबगिंग करना

कोई भी एप्लीकेशन या वेबसाइट बनाते समय कई परेशानी आती, जैसे की कोडिंग गलत हो जाना या बग आ जाना। वि जुअल स्टूडियो को इस प्रकार से विकसित किया गया हैं कि यह बग की समस्या को जल्द से जल्द ख़त्म कर दे। जितनी भी भाषा में आप विजुअल स्टूडियो में कोडिंग कर सकते हैं उन सभी भाषा के लिए आपको सपोर्ट मिलता हैं। आप चाहे तो स्वयं थोड़े से ही प्रयास से वेबसाइट के विकास के बीच में ही बग को ढूँढ सकते हैं।

कस्टमाइज विकल्प

विजुअल स्टूडियो कई एडवांस फीचर के साथ आता हैं जिनकी मदद से आप इसके मार्केटप्लेस पर उपलब्ध प्लेटफार्म को अधिक अच्छा बना सकते हैं। विजुअल स्टूडियो के प्लेटफार्म में आप एक्सटेंसन जोड़ सकते हैं तथा ऐड-ओंस का भी प्र्योद करे सकते हैं। यदि आप अपना एक्सटेंशन बनाना चाहते हैं तो आप आसानी से विकसित कर सकते हैं।

तो दोस्तों यह थी माइक्रोसॉफ्ट विजुअल स्टूडियो क्या है? पूरी जानकारी। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

Complete-Information-About-Domestic-Violence-Act-2005

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के बारे मेंं पूरी जानकारी। (Complete Information About Domestic Violence Act 2005)

दोस्तों क्या कभी आपने सोचा है कि घरेलू हिंसा अधिनियम से पहले विवाहित महिलाओं के पास जब कभी परिवार द्वारा मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त किया जाता था तब उस दशा में उनको अपना बचाव करने के लिए क्या कानूनी प्रावधान मौजूद था जी हां आप सही है केवल भारतीय दंड संहिता की धारा 498-क के तहत ही वो अपनी शिकायत को दर्ज करा सकती थीं।

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 – दोस्तों, एक समय था, जब महिलाएं घर की चारदीवारी के भीतर हो रहे जुल्म को चुपचाप सह लेती थीं। सगे-संबंधी रिश्ते के नाम पर उनका नाजायज फायदा उठा लेते थे। वह सिर्फ घुटती, रोती रह जाती थी। ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें पति या अन्य किसी संबंधी ने महिला को मारपीट कर घर से निकाल दिया। महिला इसे अपना भाग्य समझकर सहती थीं। इसे अपनी किस्मत का दोष मान लेती थीं। किसी भी तरह के जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने में वह हिचकती थीं।

लेकिन शिक्षा का प्रसार होने के साथ उनमें जागरूकता आई। उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी हुई। लेकिन इसके बावजूद कई महिलाएं परिवार के दबाव और कोर्ट-कचहरी के चक्कर से बचने के लिए मामला दर्ज करने से हिचकिचाती थीं। ऐसे में उन्हें राहत दी घरेलू हिंसा अधिनियम यानी Domestic Violence Act 2005 ने। दोस्तों, क्या आपको पता है कि यह घरेलू हिंसा अधिनियम क्या है? इसके तहत किस किस तरह की हिंसा को शामिल किया गया है?

घरेलू हिंसा अधिनियम क्या है? (Domestic Violence Act)

यदि आज से 14 साल पहले तक की बात करें तो, महिलाओं के पास घरेलू हिंसा के खिलाफ केवल आपराधिक मामला दर्ज करने का अधिकार था। ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता यानी Indian penal code, जिसे IPC भी पुकारा जाता है, की धारा 498A के तहत कार्यवाही होती थी। दोषी को सजा दी जाती थी। लेकिन सन् 2005 में घरेलू हिंसा अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम के जरिये हिंसा की शिकार महिलाओं को कई अधिकार मिले। इनमें उनके लिए रहने की जगह, उन्हें गुजारा भत्ते का अधिकार आदि अधिकार शामिल थे। इस अधिनियम का पूरा नाम घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं का संरक्षण अधिनियम – 2005 रखा गया,जिसे देश भर में आज से करीब 13 साल पहले यानी 26 अक्तूबर, 2006 को लागू किया गया।

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 

भारत में कई घरेलू हिंसा कानून हैं। सबसे शुरुआती कानून दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 था जिसने दहेज देने और प्राप्त करने का कार्य अपराध बना दिया। 1961 के कानून को मजबूत करने के प्रयास में, 1983 और 1986 में दो नई धाराओं, धारा 498A और धारा 304B को भारतीय दंड संहिता में जोड़ा गया। सबसे हालिया कानून घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005 है।

घरेलू हिंसा को वयस्क द्वारा एक रिश्ते में दुरुपयोग की गई शक्ति दूसरे (महिला) को नियंत्रित करने को वर्णित किया जा सकता है। यह हिंसा और दुर्व्यवहार के अन्य रूपों के माध्यम से एक रिश्ते में नियंत्रण और भय की स्थापना करता है। यह हिंसा शारीरिक हमला, मनोवैज्ञानिक शोषण, सामाजिक शोषण, वित्तीय शोषण या यौन हमला का रूप ले सकती है, हालांकि घरेलू हिंसा की परिभाषा अधिनियम की धारा 3 में दिया गया है।

हाल में ही एनसीआरबी द्वारा जारी आकडे को देखे तो 2019 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2018 से 7.3% की वृद्धि हुई (3,78,236 मामले)। आईपीसी के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के अधिकांश मामलों को पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के तहत दर्ज किया गया (30.9%), और अभी कोरोना वायरस महामारी के दौरान घरेलु हिंसा के मामले में काफी बढोतरी दर्ज की गई है।

महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा सदियों पुरानी घटना है। महिलाओं को हमेशा कमजोर, और शोषित होने की स्थिति में माना जाता था । हिंसा लंबे समय से महिलाओं के साथ होता है और पहले इसको स्वीकार किया जाता था। 2005 में स्थापित, घरेलू हिंसा अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) से महिलाओं की सुरक्षा, घरेलू रिश्तों में महिलाओं को हिंसा से बचाने के उद्देश्य से सांसद द्वारा बनाया गया एक कानून है।

PWDVA के तहत सबसे महत्वपूर्ण परिभाषाएँ क्या हैं?

घरेलू हिंसा की परिभाषा अच्छी तरह से लिखित और व्यापक और समग्र है। यह मानसिक, साथ ही शारीरिक शोषण को कवर करता है। उत्पीड़न, ज़बरदस्ती, स्वास्थ्य को नुकसान, सुरक्षा । इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित के लिए विशिष्ट परिभाषाएँ हैं:

शारीरिक शोषण: अधिनियम या आचरण के रूप में परिभाषित किया गया है जो इस तरह की प्रकृति है कि शारीरिक दर्द, नुकसान, या जीवन के लिए खतरा, अंग या स्वास्थ्य या पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य या विकास को बिगाड़ने के लिए ‘। शारीरिक शोषण में मारपीट, आपराधिक धमकी और आपराधिक बल भी शामिल हैं।

यौन शोषण:

कानून इसे “यौन प्रकृति” के आचरण के रूप में परिभाषित करता है, जो किसी महिला की गरिमा को अपमानित, अपमानित, अपमानित करता है या अन्यथा उल्लंघन करता है। ‘

मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग:

किसी भी रूप का अपमान / उपहास, जिसमें एक पुरुष बच्चे की अक्षमता के संबंध में, साथ ही बार-बार धमकी भी शामिल है।

आर्थिक दुर्व्यवहार:

पीड़ित और उसके बच्चों के जीवित रहने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों से वंचित, किसी भी संपत्ति के निपटान के लिए, जिसमें पीड़ित के पास ब्याज / हिस्सेदारी और वित्तीय संसाधनों के निषेध / प्रतिबंध / प्रतिबंध शामिल हैं।

उत्तेजित व्यक्ति” की परिभाषा में कोई भी महिला शामिल है जो प्रतिवादी के साथ घरेलू संबंध में है या जो उनके द्वारा घरेलू हिंसा का शिकार होने का आरोप लगाती है। (पीडब्ल्यूडीवीए की धारा 2 (ए) देखें)

“प्रतिवादी” की परिभाषा में किसी भी वयस्क पुरुष को शामिल किया गया है जो कि पीड़ित महिला के साथ घरेलू संबंध में है या है, और जिसके खिलाफ महिला ने विवाहित महिला के पति या पुरुष साथी से राहत या किसी पुरुष या महिला रिश्तेदार की मांग की है या विवाह की प्रकृति के संबंध में एक महिला बंधी है |

भारतीय दंड संहिता, 1860 महिलाओं के खिलाफ क्रूरता के संबंध में इसमें कुछ संशोधन लागू करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आपराधिक कानून है। धारा 498 ए क्रूरता के संदर्भ में कुछ चीजों से संबंधित है जो पढ़ा जाता है :-

· कोई भी जानबूझकर आचरण जो महिला को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने या महिला के जीवन, अंग या स्वास्थ्य के लिए गंभीर चोट या खतरे का कारण बनने की संभावना है; या

· किसी भी संपत्ति या किसी मूल्यवान सुरक्षा के लिए किसी भी गैरकानूनी मांग को पूरा करने के लिए उसे या उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति को मजबूर करने की दृष्टि से महिलाओं का उत्पीड़न या किसी भी मांग को पूरा करने के लिए उसके या उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति द्वारा उसकी विफलता के कारण है।

“घरेलू संबंध” की परिभाषा किसी भी रिश्ते से है 2 व्यक्ति एक साझा घर में एक साथ रहते हैं और ये लोग हैं:

  • आम सहमति से संबंधित (रक्त संबंध)
  • शादी से संबंधित।
  • विवाह की प्रकृति में एक संबंध (जिसमें लिव-इन संबंध शामिल होंगे)
  • बच्चे” की परिभाषा अठारह वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति है, और इसमें पालक, दत्तक या सौतेला बच्चा भी शामिल है।
PWDVA की अन्य प्रासंगिक विशेषताएं क्या हैं?

उपरोक्त परिभाषाओं के अलावा, निम्नलिखित कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं जिन्हें अधिनियम कवर करता है।

पीड़ित संसाधन

अधिनियम के तहत, पीड़ितों को पर्याप्त चिकित्सा सुविधा, परामर्श और आश्रय गृह के साथ-साथ आवश्यक होने पर कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

परामर्श: धारा 14

परामर्श, जैसा कि मजिस्ट्रेट द्वारा निर्देशित है, इसमें शामिल दोनों पक्षों को प्रदान किया जाना चाहिए, या जो भी पार्टी को आदेश दिया गया है, उसकी आवश्यकता होगी।

संरक्षण अधिकारी: धारा 9

अधिनियम के तहत, सरकार द्वारा हर जिले में संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए, जो अधिमानतः महिलाएं होनी चाहिए और योग्य होनी चाहिए। संरक्षण अधिकारी के कर्तव्यों में एक घरेलू घटना की रिपोर्ट दर्ज करना, आश्रय गृह, पीड़ितों के लिए चिकित्सा सुविधा और कानूनी सहायता प्रदान करना, और यह सुनिश्चित करना कि उत्तरदाताओं के खिलाफ जारी किए गए संरक्षण आदेश जारी किए जाते हैं।

संरक्षण के आदेश: धारा 18

पीड़ित की सुरक्षा के लिए सुरक्षा आदेश प्रतिवादी के खिलाफ मुद्दे हो सकते हैं, और इसमें शामिल हैं जब वह हिंसा करता है, सहायता करता है या उसे रोक देता है, किसी भी जगह में प्रवेश करता है, जहां पीड़ित व्यक्ति उसके साथ संवाद करने का प्रयास करता है या पीड़ितों की संपत्ति के किसी भी रूप को प्रतिबंधित करता है। पीड़ित के हित के लोगों के लिए हिंसा।

निवास: धारा 19

मजिस्ट्रेट दोनों पक्षों के निवास स्थान से प्रतिवादी को प्रतिबंधित करने का विकल्प चुन सकता है यदि उन्हें लगता है कि यह पीड़ित की सुरक्षा के लिए है। इसके अतिरिक्त, प्रतिवादी पीड़ित को निवास स्थान से बेदखल नहीं कर सकता है।

मौद्रिक राहत: धारा 20

प्रतिवादी को नुकसान की भरपाई के लिए पीड़ित को राहत प्रदान करना है, जिसमें आय, चिकित्सा व्यय, विनाश, क्षति या हटाने, और पीड़ित और उसके बच्चों के रखरखाव से संपत्ति के नुकसान के कारण होने वाले किसी भी खर्च शामिल हैं।

बच्चों की हिरासत: धारा 21

यदि आवश्यक हो तो प्रतिवादी के अधिकारों का दौरा करने के साथ, बच्चों के हिरासत को आवश्यकतानुसार पीड़ित को प्रदान किया जाना चाहिए।

PWDVA के क्या लाभ हैं?

यह कानून CEDAW (महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर कन्वेंशन) के बाद एक कानून बनाया गया था

‘घरेलू संबंध’ की परिभाषा सभी प्रकार की घरेलू व्यवस्था को कवर करने के लिए पर्याप्त है; उदाहरण के लिए, लिव-इन रिलेशनशिप(जब युगल शादी नहीं करते हैं)। इसमें शामिल किए जाने के साथ-साथ ऐसे रिश्ते जो कपटपूर्ण या द्वेषपूर्ण की श्रेणी में आते हैं, एक अग्रणी कदम था। लिव-इन रिलेशनशिप के संबंध में, भरत मठ और ऑर्म्स बनाम विजया रेंगाथन और ओआरएस के मामले में पारित एक विशिष्ट निर्णय में, यह निर्णय लिया गया था कि लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर पैदा हुआ बच्चा संपत्ति (संपत्ति) का हकदार है। माता-पिता के स्वामित्व वाली संपत्ति, लेकिन पैतृक संपत्ति नहीं)। इसका मतलब है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला और उसके बच्चे को आर्थिक शोषण का खतरा नहीं हो सकता है। बेशक, हालांकि यह संपत्ति के स्वामित्व और हिंदू विवाह अधिनियम की अधिक प्रासंगिकता है, लेकिन यह जानकर खुशी हो रही है कि जिन बच्चों के विवाह के संबंध नहीं हैं, वे संपत्ति के अधिकार भी प्राप्त कर सकते हैं।

इसके अलावा, अधिनियम में पति या पुरुष पार्टनर के पुरुष और महिला रिश्तेदारों (जो उन स्थितियों में मदद करते हैं, जहां परिवार के सदस्य पत्नी को परेशान करते हैं) द्वारा किए गए घरेलू हिंसा से राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त, “बच्चे” की परिभाषा भी पालक, दत्तक और सौतेले बच्चों की समावेशी है।

प्रतिवादी का कर्तव्य है कि वह पीड़ित को मुआवजा दे और वित्तीय संसाधनों को न काटे, और यह पीड़ित को न केवल हिंसा से बचाता है, बल्कि उसके हितों की भी रक्षा करता है। “साझा घर” की परिभाषा यह निर्दिष्ट करती है कि चाहे पीड़ित के पास कानूनी अधिकार / इक्विटी हो या नहीं; यदि उसने प्रतिवादी के साथ घर में निवास किया है, और वह उसके साथ हिंसक रहा है, तो प्रतिवादी अधिनियम के तहत उत्तरदायी है। इसका मतलब यह है कि भले ही उसके पास घर में कानूनी या वित्तीय हिस्सेदारी न हो, प्रतिवादी उसे बेदखल नहीं कर सकता।

संरक्षण के आदेश अधिकांश उदाहरणों में शामिल हैं, जहां प्रतिवादी संभवतः पीड़ित का लाभ उठा सकता था, और फिर से केवल उस परिभाषा तक सीमित नहीं है। अंत में, कानून द्वारा जारी किए गए आदेश पीड़ित को सबूत के रूप में मुफ्त दिए जाने चाहिए।

क्या इसे सुधारा जा सकता है?

अधिनियम के सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक “स्पष्ट रूप से पीड़ित व्यक्ति” और “प्रतिवादी” की परिभाषाएं हैं; और घरेलू हिंसा के खिलाफ केवल महिलाओं के अधिकार अधिनियम में कैसे शामिल हैं। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि यह अधिनियम महिलाओं को दिए गए अर्ध-आपराधिक या नागरिक उपचार प्रदान करता है, जिनकी आवश्यकता है एक विशेष सामाजिक संदर्भ है जिसमें भारत में घरेलू हिंसा होती है। न केवल महिलाएं घरेलू हिंसा पीड़ितों का एक उच्च अनुपात बनाती हैं, बल्कि कम राजनीतिक-सामाजिक और आर्थिक निर्णय लेने की शक्ति के साथ मिलकर उन्हें अपमानजनक घरेलू संबंधों से बाहर निकलने के लिए कठिन है।

एक मुद्दा जिसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है, वह है कतार के रिश्ते। हालांकि एस। खुशबू बनाम के फैसले में अधिनियम में उसी का कोई विशिष्ट विवरण नहीं है। कन्नीमाला और अन्र।, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप केवल विषमलैंगिक संबंधों में प्रमुख उम्र के अविवाहित व्यक्तियों में ही स्वीकार्य है।

जिन कार्यान्वयन में बाधाएं आ रहीं हैं

1- नियमों के वास्तविक कार्यान्वयन के साथ समस्याएं प्रतीत होती हैं। कई जिलों में, संरक्षण अधिकारियों को नियुक्त करने के बजाय, मौजूदा सरकारी अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी जाती है; और उसी (नीचे लिंक देखें) से निपटने के लिए सुसज्जित नहीं हैं। इसलिए वे अधिनियम में निर्दिष्ट अधिकांश कर्तव्यों को पूरा नहीं करते हैं, और इस वजह से पीड़ित अपने लाभ के लिए कानून का पूर्ण उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं। इसी तरह, आश्रय घरों के संबंध में, अधिनियम ने निर्दिष्ट किया कि पर्याप्त रूप से समझा जाना चाहिए। हालांकि, वास्तविक कार्यान्वयन में शोध से पता चला है कि कई जिलों में एक भी आश्रय गृह नहीं है।

2-  हालांकि अधिनियम में कुछ दोष हैं, और कार्यान्वयन वांछित होने के लिए बहुत कुछ छोड़ देता है; नीति अपने आप में काफी व्यावहारिक प्रतीत होती है। हां, यह समझना महत्वपूर्ण है कि पुरुषों को भी हिंसा का सामना करना पड़ता है। हां, अधिनियम को बेहतर ढंग से लागू करना और सरकार को इस बात के लिए जवाबदेह रखना जरूरी है कि उन्होंने उसी के संबंध में बेहतर सुधार के उपाय क्यों नहीं किए हैं। हालांकि, यह पहचानना भी महत्वपूर्ण है कि अधिनियम के समय (और अब भी), महिलाओं को न्याय तक पहुंच में आसानी प्रदान करने वाले कानून की शुरुआत करना अत्यंत महत्वपूर्ण था। इसकी वजह यह है कि दहेज के कारण होने वाली मौतों में महिलाओं के खिलाफ उच्च और घरेलू और यौन हिंसा होती है। इस अधिनियम का उद्देश्य उन महिलाओं को एक सरलीकृत प्रक्रिया प्रदान करना है जो घरेलू हिंसा का सामना करने के लिए नागरिक और अर्ध आपराधिक उपचार तक पहुँच प्राप्त करती हैं, और यह काफी हद तक ऐसा करने में सफल रही है।

भारत जैसे देश में, जिसमें पितृसत्तात्मक समाज है तब ये कानून घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम फलस्वरूप एक सराहनीय कानून है। यह महिलाओं के प्रति हिंसा की व्यापक किस्मों पर विचार और स्वीकार करता है। इस अधिनियम से पहले परिवार के अंदर घरेलू हिंसा की सभी विभिन्न स्थितियों को उन अपराधों के तहत निपटाया जाना था जो पीड़ित के लिंग के संबंध के अलावा आईपीसी में गठित हिंसा के संबंधित कृत्यों के तहत होते थे।

अनुतोषों के आदेश अभिप्राप्त करने के लिए प्रक्रिया

मजिस्ट्रेट को आवेदन.- कोई व्यथित व्यक्ति या संरक्षण अधिकारी या व्यथित की ओर से कोई अन्य व्यक्ति, इस अधिनियम के अधीन एक या अधिक अनुतोष प्राप्त करने के लिए मजिस्ट्रेट को आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा: परन्तु मजिस्ट्रेट, ऐसे आवेदन पर कोई आदेश पारित करने से पहले, संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता से उसके द्वारा प्राप्त, किसी घरेलू हिंसा की रिपोर्ट पर विचार करेगा।

उपधारा  के अधीन ईप्सित किसी अनुतोष में वह अनुतोष भी सम्मिलित हो सकेगा जिसके लिए किसी प्रत्यर्थी द्वारा की गई घरेलू हिंसा के कार्यों द्वारा कारित की गई क्षतियों के लिए प्रतिकर या नुकसान के लिए वाद संस्थित करने के ऐसे व्यक्ति के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, किसी प्रतिकर या नुकसान के संदाय के लिए कोई आदेश जारी किया जाता है:

परन्तु जहाँ किसी न्यायालय द्वारा, प्रतिकर या नुकसानी के रूप में किसी रकम के लिए, व्यथित व्यक्ति के पक्ष में कोई डिक्री पारित की गई है यदि इस अधिनियम के अधीन, मजिस्ट्रेट द्वारा किए गए किसी आदेश के अनुसरण में कोई रकम संदत्त की गई है या संदेय है तो ऐसी डिक्री के अधीन संदेय रकम के विरुद्ध मुजरा होगी और सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, वह डिक्री, इस प्रकार मुजरा किए जाने के पश्चात् अतिशेष रकम के लिए, यदि कोई हो, निष्पादित की जाएगी।

उपधारा के अधीन प्रत्येक आवेदन, ऐसे प्ररूप में और ऐसी विशिष्टयाँ जो विहित की जाएं या यथासम्भव उसके निकटतम रूप में अन्तर्विष्ट होगा।

मजिस्ट्रेट, सुनवाई की पहली तारीख नियत करेगा जो न्यायालय द्वारा आवेदन की प्राप्ति की तारीख से सामान्यत: तीन दिन से अधिक नहीं होगी।

मजिस्ट्रेट, उपधारा के अधीन दिए गए प्रत्येक आवेदन का, प्रथम सुनवाई की तारीख से साठ दिन की अवधि के भीतर निपटारा करने का प्रयास करेगा।

सूचना की तामील.- धारा 12 के अधीन नियत की गई सुनवाई की तारीख की सूचना, मजिस्ट्रेट द्वारा संरक्षण अधिकारी को दी जाएगी जो प्रत्यर्थी पर और मजिस्ट्रेट द्वारा निदेशित किसी अन्य व्यक्ति पर, ऐसे साधनों द्वारा जो उसकी प्राप्ति की तारीख से अधिकतम दो दिन की अवधि के भीतर या ऐसे अतिरिक्त युक्तियुक्त समय के भीतर जो मजिस्ट्रेट द्वारा अनुज्ञात किया जाए, तामील करवाएगा।

संरक्षण अधिकारी द्वारा की गई सूचना की तामील की घोषणा, ऐसे प्ररूप में जो विहित किया जाए, इस बात का सबूत होगी कि ऐसी सूचना की तामील प्रत्यर्थी पर और मजिस्ट्रेट द्वारा निदेशित किसी अन्य व्यक्ति पर कर दी गई है, जब तक प्रतिकूल साबित नहीं कर दिया जाता है।

परामर्श. – मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन कार्यवाहियों के किसी प्रक्रम, पर, प्रत्यर्थी या व्यथित व्यक्ति को, अकेले या संयुक्तत: सेवा प्रदाता के किसी सदस्य से, जो परामर्श में ऐसी अर्हताएं और अनुभव रखता है, जो विहित की जाएं परामर्श लेने का निदेश दे सकेगा।

जहाँ मजिस्ट्रेट ने उपधारा के अधीन कोई निदेश जारी किया है, वहाँ वह मामले की सुनवाई की अगली तारीख, दो मास से अनधिक अवधि के भीतर नियत करेगा।

कल्याण विशेषज्ञ की सहायता. – इस अधिनियम के अधीन किन्हीं कार्यवाहियों में. मजिस्ट्रेट अपने कृत्यों के निर्वहन में अपनी सहायता के प्रयोजन के लिए, ऐसे व्यक्ति की, अधिमानतः किसी महिला की, चाहे वह व्यथित व्यक्ति की नातेदार हो या नहीं, जो वह उचित समझे, इसके अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति भी है जो परिवार कल्याण के संवर्धन में लगा हुआ है, सेवाएं प्राप्त कर सकेगा।

कार्यवाहियों का बन्द कमरे में किया जाना.- यदि मजिस्ट्रेट ऐसा समझता है कि मामले की परिस्थितियों के कारण ऐसा आवश्यक है और यदि कार्यवाहियों का कोई पक्षकार ऐसी वांछा करे, तो वह इस अधिनियम के अधीन, कार्यवाहियाँ बन्द कमरे में संचालित कर सकेगा।

साझी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार.– (1) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के होते हुए भी, घरेलू नातेदारी में प्रत्येक महिला को साझी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार होगा चाहे वह उसमें कोई अधिकार, हक या फायदाप्रद हित रखती हो या नहीं।

(2) विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसरण में के सिवाय, कोई व्यथित व्यक्ति, प्रत्यर्थी द्वारा किसी साझी गृहस्थी या उसके किसी भाग से बेदखल या अपवर्जित नहीं किया जाएगा।

संरक्षण आदेश.- मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी को सुनवाई का एक अवसर दिए जाने के पश्चात् और उसका प्रथम दृष्टया समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है या होने वाली है, व्यथित व्यक्ति के पक्ष में तथा प्रत्यर्थी को निम्नलिखित से प्रतिषिद्ध करते हुए एक संरक्षण आदेश पारित कर सकेगा, –

(क) घरेलू हिंसा के किसी कार्य को करना;

(ख) घरेलू हिंसा के कार्यों के कारित करने में सहायता या दुष्प्रेरित करना;

(ग) व्यथित व्यक्ति के नियोजन के स्थान में या यदि व्यथित व्यक्ति बालक है, तो उसके विद्यालय में या किसी अन्य स्थान में जहाँ व्यथित बार-बार आता जाता है, प्रवेश करना;

(घ) व्यथित व्यक्ति से सम्पर्क करने का प्रयत्न करना, चाहे वह किसी रूप में हो, इसके अन्तर्गत वैयक्तिक, मौखिक या लिखित या इलैक्ट्रॉनिक या दूरभाषीय सम्पर्क भी है;

(ङ) किन्हीं आस्तियों का अन्य संतामण करना; उन बैंक लाकरों या बैंक खातों का प्रचालन करना जिनका दोनों पक्षों द्वारा प्रयोग या धारण या उपयोग, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी द्वारा संयुक्तत: या प्रत्यर्थी द्वारा अकेले किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत उसका स्त्रीधन या अन्य कोई सम्पत्ति भी है, जो मजिस्ट्रेट की इजाजत के बिना या तो पक्षकारों द्वारा संयुक्तत: या उनके द्वारा पृथकतः धारित की हुई हैं;

(च) आश्रितों, अन्य नातेदारों या किसी ऐसे व्यक्ति को जो व्यथित व्यक्ति को घरेलू हिंसा के विरुद्ध सहायता देता है, के साथ हिंसा कारित करना;

(छ) ऐसा कोई अन्य कार्य करना जो संरक्षण आदेश में विनिर्दिष्ट किया गया है।

निवास आदेश. – (1) धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, यह समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है तो निम्नलिखित निवास आदेश पारित कर सकेगा: –

(क) साझी गृहस्थी से, किसी व्यथित व्यक्ति के कब्जे को बेकब्जा करना या किसी अन्य रीति में उस कब्जे में विघ्न डालने से प्रत्यर्थी को अवरुद्ध करना, चाहे प्रत्यर्थी, उस साझी गृहस्थी में विधिक या साधारण रूप से हित रखता है या नहीं;

(ख) प्रत्यर्थी को, उस साझी गृहस्थी से स्वयं को हटाने का निदेश देना;

(ग) प्रत्यर्थी या उसके किसी नातेदारों को साझी गहस्थी के किसी भाग में. जिसमें व्यथित व्यक्ति निवास करता है, प्रवेश करने से अवरुद्ध करना;

(घ) प्रत्यर्थी को, किसी साझी गृहस्थी के अन्यसंक्रान्त करने या व्ययनित करने या उसके विल्लंगम करने से अवरुद्ध करना;

(ङ) प्रत्यर्थी को, मजिस्ट्रेट की इजाजत के सिवाय, साझी गृहस्थी में अपने अधिकार त्यजन से, अवरुद्ध करना; या

(च) प्रत्यर्थी को, व्यथित व्यक्ति के लिए उसी स्तर की आनुकल्पिक वास सुविधा जैसी वह साझी गृहस्थी में उपयोग कर रही थी या उसके लिए किराए का संदाय करने, यदि परिस्थितियाँ ऐसी अपेक्षा करें, सुनिश्चित करने के लिए निदेश करना।

मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति या ऐसे व्यथित व्यक्ति की किसी सन्तान की सुरक्षा के लिए, संरक्षण देने या सुरक्षा देने या सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए कोई अतिरिक्त शर्त अधिरोपित कर सकेगा या कोई अन्य निदेश पारित कर सकेगा जो वह युक्तियुक्त रूप से आवश्यक समझे :

परन्तु यह कि खण्ड (ख) के अधीन कोई आदेश किसी व्यक्ति के, जो महिला है, विरुद्ध पारित नहीं किया जाएगा।

मजिस्ट्रेट घरेलू हिंसा निवारण के लिए प्रत्यर्थी से, एक बन्धपत्र, प्रतिभूओं सहित या उसके बिना निष्पादित करने की अपेक्षा कर सकेगा।

उपधारा 3 के अधीन कोई आदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय 8 के अधीन किया गया कोई आदेश समझा जाएगा और तद्नुसार कार्रवाई की जाएगी।

5 उपधारा 1, उपधारा 2 या उपधारा 3 के अधीन किसी आदेश को पारित करते समय, न्यायालय, उस व्यथित व्यक्ति को संरक्षण देने के लिए या उसकी सहायता के लिए या आदेश के क्रियान्वयन में उसकी ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति के लिए, निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को निदेश देते हुए आदेश भी पारित कर सकेगी।

6 उपधारा 1 के अधीन कोई आदेश करते समय, मजिस्ट्रेट, पक्षकारों की वित्तीय आवश्यकताओं और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए किराए और अन्य संदायों के निर्मोचन से सम्बन्धित बाध्यताओं को प्रत्यर्थी पर अधिरोपित कर सकेगा।

मजिस्ट्रेट, उस पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, जिसकी अधिकारिता में, संरक्षण आदेश के कार्यान्वयन में सहायता करने के लिए मजिस्ट्रेट के पास पहुँचा जाता है, निदेश कर सकेगा।

मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति को उसके स्त्रीधन या किसी अन्य सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति को, जिसके लिए वह हकदार है, कब्जा लौटाने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश दे सकेगा।

धनीय अनुतोष. – (1) धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, घरेलू हिंसा के परिणामस्वरूप व्यथित व्यक्ति और व्यथित व्यक्ति की किसी सन्तान को उपगत व्यय और कारित नुकसान की पूर्ति के लिए धनीय अनुतोष का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश दे सकेगा और ऐसे अनुतोष में निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे किन्तु यह निम्नलिखित तक ही सीमित नहीं होगी –

(क) उपार्जनों की हानि ;

(ख) चिकित्सीय खर्चे ;

(ग) व्यथित व्यक्ति के नियंत्रण में से किसी सम्पत्ति के नाश, नुकसानी या हटाए जाने के कारण हुई हानि; और

(घ) उसकी सन्तान, यदि कोई हों के साथ-साथ व्यथित व्यक्ति के लिए भरण पोषण, जिसमें दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 125 या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन कोई आदेश या भरण-पोषण के आदेश के अतिरिक्त कोई आदेश सम्मिलित है।

(2) इस धारा के अधीन अनुदत्त धनीय अनुतोष, पर्याप्त, उचित और युक्तियुक्त होगा तथा उस जीवनस्तर से, जिसका व्यथित व्यक्ति अभ्यस्थ है, संगत होगा।

(3) मजिस्ट्रेट को, जैसा मामले की प्रकृति और परिस्थितियाँ, अपेक्षा करें, भरण-पोषण के एक समुचित एकमुश्त सदाय या मासिक सदाय का आदेश देने की शक्ति होगी।

(4) मजिस्ट्रेट, आवेदन के पक्षकारों को और पुलिस थाने के भारसाधक को, जिसकी स्थानीय सीमाओं की अधिकारिता में प्रत्यर्थी निवास करता है, उपधारा (1) के अधीन दी गई धनीय अनुतोष के आदेश की एक प्रति भेजेगा।

(5) प्रत्यर्थी, उपधारा (1) के अधीन आदेश में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर व्यथित व्यक्ति को अनुदत्त धनीय अनुतोष का संदाय करेगा।

(6) उपधारा (1) के अधीन आदेश के निबन्धनों में संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी की ओर से असफलता पर, मजिस्ट्रेट प्रत्यर्थी के नियोजक को या ऋणी को, व्यथित व्यक्ति को प्रत्यक्षतः संदाय करने या मजदूरी या वेतन का एक भाग न्यायालय में जमा करने या शोध्य ऋण या प्रत्यर्थी के खाते में शोध्य या उद्भत ऋण को, जो प्रत्यर्थी द्वारा संदेय धनीय अनुतोष में समायोजित कर ली जाएगी, जमा करने का निदेश दे सकेगा।

अभिरक्षा आदेश.- तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हए भी, मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन संरक्षण आदेश या किसी अन्य अनुतोष के लिए आवेदन की सुनवाई के किसी प्रक्रम पर व्यथित व्यक्ति को या उसकी ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति को किसी सन्तान की अस्थायी अभिरक्षा दे सकेगा और यदि आवश्यक हो प्रत्यर्थी द्वारा ऐसी सन्तान को देखने का प्रबन्ध विनिर्दिष्ट कर सकेगा :

परन्तु, यदि मजिस्ट्रेट की यह राय है कि प्रत्यर्थी की कोई भेंट सन्तान के हितों के लिए हानिकारक हो सकती है तो मजिस्ट्रेट ऐसी भेंट करने को अनुज्ञात करने से इन्कार करेगा।

प्रतिकर आदेश.- अन्य अनुतोषों के अतिरिक्त, जो इस अधिनियम के अधीन अनुदत्त की जाएं, मजिस्ट्रेट व्यथित व्यक्ति द्वारा किए गए आवेदन पर, प्रत्यर्थी को क्षति के लिए, जिसके अन्तर्गत उस प्रत्यर्थी द्वारा की गई घरेलू हिंसा के कार्यों द्वारा मानसिक यातना और भावनात्मक संकट सम्मिलित हैं, प्रतिकर और नुकसानी का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश देने का आदेश पारित कर सकेगा।

अन्तरिम और एकपक्षीय आदेश देने की शक्ति.– (1) मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन उसके समक्ष किसी कार्यवाही में, ऐसा अन्तरिम आदेश, जो उचित और न्यायोचित हो, पारित कर सकेगा।

(2) यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाता है कि प्रथमदृष्टया कोई आवेदन यह प्रकट करता है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा का कोई कार्य कर रहा है या किया है, या यह कि यह सम्भावना है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा का कोई कार्य कर सकता है, तो वह ऐसे प्ररूप में, जो विहित किया जाए, यथास्थिति, धारा 18, धारा 19, धारा 20, धारा 21 या, यथास्थिति, धारा 22 के अधीन व्यथित व्यक्ति के शपथपत्र के आधार पर, प्रत्यर्थी के विरुद्ध एकपक्षीय आदेश दे सकगा।

न्यायालय को आदेश की प्रतियों का निःशुल्क दिया जाना.— मजिस्ट्रेट, सभी मामलों में, जहाँ उसने इस अधिनियम के अधीन कोई आदेश पारित कर दिया है, वहाँ यह आदेश देगा कि ऐसे आदेश की एक प्रति आवेदन के पक्षकारों को, उस पुलिस थाने के भारसाधक पुलिस अधिकारी को, जिसकी अधिकारिता में मजिस्ट्रेट के पास आवेदन किया गया है, और न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर कोई सेवा प्रदाता अवस्थित है और यदि किसी सेवा प्रदाता ने उस सेवा प्रदाता को किसी घरेलू घंटना की रिपोर्ट को रजिस्ट्रीकृत किया है, नि:शुल्क देगा।

आदेशों की अवधि और उसमें परिवर्तन. – (1) धारा 18 के अधीन किया गया संरक्षण आदेश तब तक प्रवृत्त होगा जब तक व्यथित व्यक्ति निर्मोचन के लिए आवेदन करता है।

(2) यदि मजिस्ट्रेट का, व्यथित व्यक्ति या प्रत्यर्थी से किसी आवेदन की प्राप्ति पर यह समाधान हो जाता है कि इस अधिनियम के अधीन किए गए किसी आदेश में परिवर्तन, उपान्तरण या प्रतिसंहरण परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण अपेक्षित है तो वह लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से ऐसा आदेश, जो वह समुचित समझे, पारित कर सकेगा।

अन्य वादों और विधिक कार्यवाहियों में अनुतोष.- (1) धारा 18, धारा 19, धारा 20, धारा 21 और धारा 22 के अधीन उपलब्ध कोई अनुतोष, किसी सिविल न्यायालय, कुटुम्ब न्यायालय या किसी दाण्डिक न्यायालय के समक्ष व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी को प्रभावित करने वाली किसी विधिक कार्यवाही में भी, चाहे ऐसी कार्यवाही इस अधिनियम के प्रारम्भ से पूर्व या उसके पश्चात् आरम्भ की गई हो, ईप्सित किया जा सकेगा।

(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई अनुतोष किसी अन्य अनुतोष के अतिरिक्त और उसके साथ-साथ कि व्यथित व्यक्ति, किसी सिविल या दाण्डिक न्यायालय के समक्ष ऐसे वाद या विधिक कार्यवाही में वांछा कर सकेगा, ईप्सित किया जा सकेगा।

(3) किसी मामले में, इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही से भिन्न किन्हीं कार्यवाहियों में व्यथित व्यक्ति द्वारा कोई अनुतोष अभिप्राप्त कर लिया है, तो वह ऐसे अनुतोष को अनुदत्त करने के लिए मजिस्ट्रेट को सूचित करने के लिए बाध्य होगा।

अधिकारिता – (1) यथास्थिति, प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट का न्यायालय, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर, जहाँ –

(क) व्यथित व्यक्ति स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से निवास करता है या कारबार करता है या नियोजित है; या

(ख) प्रत्यर्थी निवास करता है या कारबार करता है या नियोजित है; या

(ग) हेतुक उद्भूत होता है, इस अधिनियम के अधीन कोई संरक्षण आदेश और अन्य आदेश अनुदत्त करने और इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए सक्षम न्यायालय होगा।

(2) इस अधिनियम के अधीन किया गया कोई आदेश समस्त भारत में प्रवर्तनीय होगा।

प्रक्रिया. – इस अधिनियम में अन्यथा उपबन्धित के सिवाय धारा 12, धारा 18, धारा 19, धारा 20, धारा 21, धारा 22 और धारा 23 के अधीन सभी कार्यवाहियाँ और धारा 31 के अधीन अपराध, दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबन्धों द्वारा शासित होंगे।

उपधारा (1) की कोई बात, धारा 12 के अधीन या धारा 23 की उपधारा (2) के अधीन किसी आवेदन के निपटारे के लिए अपनी स्वयं की प्रक्रिया अधिकथित करने से निवारित नहीं करेगी।

अपील. – उस तारीख से, जिसको मजिस्ट्रेट द्वारा किए गए आदेश की, यथास्थिति, व्यथित व्यक्ति या प्रत्यर्थी को, इनमें से जो भी पश्चात्वर्ती हो, तामील की जाती है, तीस दिनों के भीतर सेशन न्यायालय में कोई आपील की जाएगी।

How to become a Lecturer.

कॉलेज में लेक्चरर (Lecturer) कैसे बनें? (How To Become A Lecturer In College)

कॉलेज में लेक्चरर (Lecturer) कैसे बनें: रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बेहतर और उच्चतर हासिल करने के लिए, वास्तव में आपके पास अंतर्दृष्टि और जानकारी होनी चाहिए। वैसे भी यह जानकारी आपको किशोरावस्था से ही मिलनी शुरू हो जाती है। इसकी शुरुआत आपके शिक्षण से होती है। हमारे देश में एक शिक्षक, अध्यापक या मास्टर को भगवान का दर्जा प्राप्त है जो लगातार कठिन परिश्रम करके आपको कुछ बनने लायक बनाता है।

How to become a Lecturer.

आप किसी के जीवन के लिए मार्गदर्शक कैसे हो सकते हैं? इस लेख में आप एक स्कूल शिक्षक कैसे बनेंगे? क्या क्षमताओं की अपेक्षा एक स्कूल वक्ता बनने की है? एक शिक्षक बनने के लिए किन योग्यताओं की अपेक्षा की जाती है? शिक्षक के कर्तव्य और दायित्व क्या हैं, वक्ता शिक्षक की व्यावसायिक संभावनाओं, वेतन आदि के बारे में बताएगा।

वक्ता कैसे बनें? (प्रशिक्षक बनने के लिए चरण दर चरण निर्देश)

अपने निर्णय के विषय के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करें।

अपने पसंदीदा विषय में अपना चार साल का प्रमाणन पूरा करें।

स्नातक की डिग्री का फल.

आवेदन करें और यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करें।

एम.फिल या पीएच.डी. करें। एक शिक्षक बनने के लिए.

चरण 1 प्रशिक्षक बनने के लिए, प्रतियोगियों को यूजीसी-नेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। यह परीक्षा हर साल दो बार आयोजित की जाती है, जिसे पास करके आप वास्तव में एक शिक्षक के रूप में स्कूल में नई नौकरी ढूंढना चाहेंगे।

चरण 2 यूजीसी-नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, आप भारत में यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी कॉलेज से संबद्ध किसी भी स्कूल में वक्ता के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसी भी मामले में, आपके लिए यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि यूजीसी-नेट को पास करना हर किसी के लिए कुछ काम सुनिश्चित नहीं करता है क्योंकि यूजीसी-नेट को पास करना एक शर्त के रूप में देखा जाता है।

इसके अलावा, शिक्षक के लिए, आपको समाचार पत्रों या वेब पर आने वाले विभिन्न स्कूलों के नोटिस में एक केंद्रित प्रयास करने की आवश्यकता है, जिसमें रिक्त पोस्ट का संदर्भ दिया गया है। जिसके बाद स्कूल विशेषज्ञ अपने निर्णय के अनुसार एक वक्ता को नामित कर सकते हैं। जिसके लिए स्कूल के विशेषज्ञ प्रतियोगियों की एक बैठक का नेतृत्व करते हैं और बैठक के बाद प्रतियोगी की लिखित समीक्षा भी की जाती है. इस चक्र के बाद ही आपको स्कूल के लिए नामित किया जाता है।

क्या क्षमताओं की अपेक्षा स्कूल प्रशिक्षक बनने की है?

शिक्षक बनने के लिए आपको स्नातक होना चाहिए।

आपको अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करनी चाहिए।

आपके पोस्ट-ग्रेजुएशन में लगभग 55 अंक होने चाहिए

एक प्रशिक्षक बनने के लिए किन योग्यताओं की अपेक्षा की जाती है?

शिक्षक को सबसे पहले भीड़ के सामने सार्वजनिक रूप से बातचीत करने जैसा अनुभव होना चाहिए, ताकि वह लोगों के सामने स्वतंत्र महसूस कर सके या बात कर सके और अपनी बात पूरी निश्चितता के साथ कह सके।

वक्ताओं को सभाओं, कक्षाओं और स्टूडियो में जाने और अनुभवी छात्रों से मिलने की भी आदत होनी चाहिए।

शिक्षकों को खेल और कठिनाइयों जैसे उपयोगी कार्य, वाहन क्षेत्रों या क्षेत्र यात्राओं का प्रबंधन आदि में छात्रों की सहायता के लिए निजी सलाहकार के रूप में काम करना चाहिए।

शिक्षक को विषय के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए ताकि वह अपने विद्यार्थियों को अच्छी तरह समझा सके।

एक वक्ता को हमेशा धैर्यवान और सौहार्दपूर्ण रहना चाहिए।

शिक्षक की रचना एवं बोलने की क्षमता उत्तम होनी चाहिए। साथ ही यह कल्पनाशील भी है.

वक्ता में लगातार अपने काम पर ध्यान देने की प्रवृत्ति होनी चाहिए और उसे आम तौर पर कुछ नए उपयोगी ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।

अध्यक्ष के दायित्व एवं दायित्व क्या हैं?

किसी भी स्कूल या कॉलेज में एक वक्ता के कई कर्तव्य और दायित्व होते हैं। शिक्षक निर्देशन, प्रोत्साहन, जाँच, प्रदर्शन, अध्ययन जैसी अनेक जिम्मेदारियाँ भी निभाते हैं। इतना ही नहीं, शिक्षक की कई अन्य जिम्मेदारियां भी हैं जिनके बारे में आप नीचे दिए गए अभ्यासों से जानना चाहेंगे।

कक्षा लगाने से पहले कक्षा के लिए कार्यक्रम, बातचीत और परीक्षण निर्धारित करना।

वास्तव में कक्षा कार्य को देख रहे हैं।

परीक्षण के लिए पूछताछ की योजना बनाना और परीक्षण पेपर की जांच करना।

छात्रों के ग्रेड तैयार करना।

कक्षा से परे छात्रों को मार्गदर्शन या सहायता प्रदान करें।

नई चीजें सीखने के तरीकों की तलाश करना और फिर छात्रों के सामने परिचय कराना।

कक्षा में जाने के लिए.

विद्यार्थियों को सलाह देना।

स्नातक छात्रों का प्रबंधन करना और उनकी खोज में उनकी सहायता करना।

पी.एच.डी. की परीक्षा का आकलन

वित्तीय संगठन डायरी वितरण के लिए कागज की तैयारी।

सार्वजनिक वार्ता की तत्परता एवं प्रदर्शन।

शिक्षक के रूप में करियर की डिग्री परीक्षा समाप्त करने के बाद आपके पास वक्ता बनने के अलावा कई अन्य विकल्प होते हैं, जैसे कि पाठक, शिक्षक, दाहिने हाथ का शिक्षक, प्रभाग प्रमुख, प्रमुख। इतना ही नहीं, आप अपने पेशे को बेहतर मार्गदर्शन देने के लिए शैक्षणिक लागत कक्षाएं खोल सकते हैं या फिर विदेश में नौकरी कर सकते हैं।

एक वक्ता का प्रतिफल बनकर, आप अपने पेशे को महान बनाते हैं और साथ ही एक अविश्वसनीय जीवन भी जीते हैं। अगर हम शिक्षक के वेतन के बारे में बात करें तो शिक्षक को बहुत सम्मान के साथ-साथ अच्छा वेतन भी दिया जाता है। गोपनीय क्षेत्र में आपको हर महीने 10,000/- से 40,000/- तक का मुआवजा मिल सकता है. तथापि,यदि आप किसी प्रशासनिक क्षेत्र में शिक्षक हैं तो आपको शुरुआती वेतन 25,000/- तक मिलता है।

इसके अलावा एक वक्ता को अनुभव और उन्नति के साथ हर महीने 40,000 से 50,000 या 70,000 का मुआवजा मिलता है। अगर आप अपने करियर को और भी शानदार बनाना चाहते हैं तो स्कूल खोलकर, पढ़ाकर भी अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

वक्ता कैसे बनें? (शिक्षक बनने के लिए चरण दर चरण निर्देश)

एक स्कूल प्रशिक्षक बनने के लिए, आपको एक प्रमाणित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करना होगा। B.Ed की डिग्री 2 साल की होनी चाहिए. किसी विषय में बीएड और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद आप स्कूल टीचर के लिए आवेदन करने के योग्य हो जाते हैं।

इंस्ट्रक्टर पद के लिए कोई आयु सीमा नहीं है, लेकिन जूनियर एक्सप्लोरेशन एसोसिएशन के लिए अभ्यर्थी की आयु 21 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए. एससी/एसटी/ओबीसी प्रतियोगियों को आवेदन व्यय का भुगतान करने से बाहर रखा गया है।

एक शिक्षक का मुआवज़ा क्या है? (शिक्षक का मुआवजा क्या है)

वेतन अनुभव और क्षमताओं पर निर्भर करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसोसिएट टीचर को 57,000 रुपये से 67,000 रुपये तक पास लेवल मुआवजा मिलता है। साथ ही शिक्षक को अनुभाग स्तर पर प्रति माह एक लाख रुपये से अधिक का मुआवजा मिलता है. लेवल 15 के साथ आनुपातिक सेक्शन पर शुरुआती मुआवजा 1,82,200 रुपये है।

एसोसिएट टीचर कैसे बनें? (सहकर्मी शिक्षक बनने के लिए चरण दर चरण निर्देश)

एसोसिएट टीचर बनने के उद्देश्य का यह अंतिम चरण है, जिसके लिए आपको यूजीसी नेट (यूजीसी पब्लिक क्वालिफिकेशन टेस्ट) परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी, जिसके बाद आपको यूजीसी नेट पार्टनर टीचर घोषणा पत्र मिलेगा और इसे भरकर पूरा किया जा सकता है। किसी विद्यालय में एक सहयोगी शिक्षक।

शिक्षक और प्रशिक्षक के बीच क्या अंतर है? (शिक्षक और प्रशिक्षक के बीच अंतर)

मुख्य अंतर – शिक्षक बनाम शिक्षक – एक वक्ता वह व्यक्ति होता है जो अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत में होता है जबकि एक शिक्षक एक कॉलेज में सबसे उल्लेखनीय शैक्षणिक स्थिति में होता है। प्रशिक्षक और शिक्षक के बीच मूलभूत अंतर यह है कि एक शिक्षक की विद्वतापूर्ण स्थिति या वक्ता की तुलना में उच्च पद होता है।

सहायक शिक्षक का मुआवजा आकार क्या है? (साथी शिक्षक का मुआवजा आकार क्या है)

वर्तमान मुआवजा स्केल: 15600 रुपये से 39100 रुपये, ग्रेड वेतन 6600 रुपये और पारित वेतन 25530 रुपये। सातवें मुआवजा आयोग के अनुसार मूल्यांकन मुआवजा रुपये है। 46800 से रु. 117300 रुपये ग्रेड पे के साथ। 19800 और सेक्शन वेतन रु. 76590.

एडमिनिस्ट्रेशन टीचर बनने के लिए कौन सा कोर्स करना चाहिए? (सरकारी प्रशिक्षक पाठ्यक्रम)

बी.एड (सिंगल मैन ऑफ इंस्ट्रक्शन) यह कोर्स 2 साल का है और इस कोर्स को करने के लिए आपको पूर्व छात्र होना चाहिए। …

डी.एड (प्रशिक्षण में मान्यता) यह एक कन्फर्मेशन कोर्स है जो 2 साल का होता है और शिक्षक बनने के लिए इस कोर्स को पूरा किया जाता है।

प्रशासन शिक्षक बनने के लिए बारहवीं के बाद क्या करें? (प्रशासन प्रशिक्षक बनने के लिए बारहवीं के बाद क्या करें)

प्रशासन शिक्षक बनने के लिए बारहवीं पास करें।

अपने पसंदीदा विषय पर ध्यान दें.

उन्नत शिक्षा की परिणति.

बी.एड कोर्स के लिए आवेदन करें.

CTET या TET प्लेसमेंट टेस्ट।